• अक्ल बड़ी या भैंस

    अक्ल बड़ी या भैंस: Story that will inspire you

    • 2020-08-26 05:15:51
    • Puplic by : Admin
    • Written by : Unknown
    एक गदहा मैदान में हरी-हरी कोमल-कोमल दूब चार रहा था था,
    अचानक जो उसने सर उठाया, तो एक बाघ को अपनी ओर आते देखा।
    गदहा समझ गया कि अब प्राण बचना असम्भव है।
    बाघ के सामने से भाग निकलना भी असम्भव है।
    फिर क्या करे ?
    यों ही प्राण खो दें। ?
    बड़े बूढ़े की कहावत बन गए हैं।
    अक्ल बड़ी या भैंस ? क्यों न आज वही कहावत काम में लायें बुद्धि से बल से नीचा दिखाएं और बाघ को उल्लू बनायें।
    पिछले एक पैर से लंगड़ा-लंगड़ा कर चलना शुरू कर दिया। बाघ ने गदहे के पास जाते-जाते पूछा-क्यों भाई गदहे! यह तू लंगड़ा-लंगड़ा कर क्यों चलता है ?
    गदहे ने उत्तर दिया-क्या कहें सरकार! दौड़ते समय पैर में एक बहुत लम्बा बहुत मोटा काटा चुभ गया है।
    उसी से पैर में बहुत कष्ट हो रहा है और मैं लंगड़ाकर चल रहा हूँ। बाघ ने पूछा -फिर ?
    गदहे ने कहा यदि खाने के विचार रखते हो तो पहले वह कांटा बाहर निकालो।
    कहीं ऐसा नहीं हो कि मुझे खाते समय वह कांटा गलती से तुम्हारे गले में अटक जाए और तुम्हें अपने प्राण खोने पड़े।
    बाघ को गदहे का कहना जँच गया। उसने गदहे का वह पैर उठाया और बड़े ध्यान से उसमें कांटा ढूँढना शुरू किया।
    गदहे ने यह मौका बहुत अच्छा समझा और कसकर दुलत्ती फटकारी तथा हवा के समान तेजी से भाग निकला।
    जो तड़ाक से दुलत्ती की चोट पड़ी तो बाघ का मुहं टेढ़ा हो गया उसके सामने वाले दांत झड़ गए और जबड़े खून से भर गए।
    बस वह लज्जित होकर कह उठा-उफ़। गदहे की बुद्धि के सामने बाघ का बल कुछ काम न आया।

    Bonus Story - छोटी -छोटी बातें बड़ा फर्क डालती हैं

    एक आदमी सुबह को समुद्र के किनारे टहल रहा था ।
    उसने देखा कि लहरों के साथ सैकड़ों स्टार मछलियाँ तट पर आ जाती हैं, जब लहरे पीछे जाती हैं तो मछलियाँ किनारे पर ही जाती हैं और धूप से मर जाती हैं ।
    लहरें उसी समय लौटी थी और स्टार मछलियाँ अभी जीवित थी ।
    वह आदमी कुछ कदम आगे बढ़ा, उसने एक मछली उठाई और पानी में फेंक दी ।
    वह ऐसा बार-बार करता रहा ।
    उस आदमी के ठीक पीछे एक और आदमी था, जो यह नहीं समझ पा रहा था कि वह क्या कर रहा है ।
    वह उसके पास आया और पूछा तुम क्या कर रहे हो ?
    यहाँ तो सैकड़ों स्टार मछलियाँ हैं । तुम कितनें को बचा सकोगे ?
    तुम्हारे ऐसा करने से क्या फर्क पड़ेगा ?
    उस आदमी ने कोई जवाब नहीं दिया, दो कदम आगे बढ़कर उसने एक और मछली को उठाकर पानी में फेंक दिया और बोला, इससे इस एक मछली को तो फर्क पड़ता है ।
    हम कौन-सा फर्क डाल रहे हैं ? बड़ा या छोटा, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता ।
    अगर सब थोड़ा-थोड़ा फर्क लाएँ तो बहुत बड़ा फर्क पड़ेगा ।

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