आज की बात – वाद विवाद से कैसे बचें / CONFLICT से कैसे बचें – इससे पहले ये समझते है कि क्यों बचें – हर व्ताक्ति के पास एक निश्चित ENERGY / उर्जा होती है अब उसे आप कंही भी इसेतमाल कर लें | आप जब भी वाद विवाद में पड़ते हैं तो आपको तनाव होता है , आप खुश नहीं रह पाते , आपका फोकस आपके मुख्य उद्देश्य से हट जाता है , रिश्ते ख़राब हो जाते हैं , कोर्ट / कचहरी तक हो जाते हैं | आपकी PRODUCTIVITY कम हो जाती है जिससे आपके जिन्दगी में सफल होने की सम्भावना घट जाती है | आपने देखा होगा कुछ लोग छोटी – छोटी बातों को बहुत बड़ा बना देते हैं / हर बात पर लड़ाई झगडा करने को तैयार रहते हैं लेकिन कुछ लोग बड़ी से बड़ी बात का शांति से समाधान खोज लेते हैं | ये आपकी Personality का बहुत important part होता है कि आप अपने आपको कैसा बनाते हैं – पहले example जैसा या दुसरे example जैसा
कुछ स्थितियों में वाद विवाद अच्छा भी होता है हम यंहा उनकी भी बात करेंगे |
अगर आपको पता हो सड़क पर यंहा कीचड़ है / गंदगी है / गड्ढा है तो आप उससे बचकर चल सकते हो | बस आज की पोस्ट का मुख्य उद्देश्य यही है आपको जिन्दगी की वो कीचड़ / गंदगी / गड्ढा दिखाना जिससे आप अपनी जिन्दगी की गाडी को बिना विवादों के चला सकें |
Prevention is better than cure.
पहला वाद विवाद होता क्यों है – जब भी आप की किसी से जो EXPECTATIONS / अपेक्षायें पूरी नहीं होती विवाद की स्थिति उत्पन्न हो जाती है | अब वाद विवाद से बचने का पहला तरीका हो सकता है किसी से कोई EXPECTATION / अपेक्षा ही मत रखो लेकिन ये तरीका प्रैक्टिकल कम है क्योंकि चाहते या ना चाहते हुये भी हमारी एक दुसरे से कुछ ना कुछ EXPECTATIONS होती ही हैं | ये वो तरीका है जिसकी बात करना बहुत आसन है लेकिन इसको करना बहुत मुश्किल लेकिन असंभव भी नहीं है | जितना संभव हो सके अपनी EXPECTATION को कम करें लेकिन Productivity को नहीं | यंहा Expectation को कम करने से मतलब जरुरी कामों पर compromise करने से भी नहीं है | जैसे अगर आप Employer हैं और आपने Employees से कुछ Expectation ही ना रखें की वो कैसा Perform करेंगे तो ये सही नहीं होगा |
वाद विवाद का दूसरा मुख्य कारण होता है Difference of opinion / विचार धारा में अंतर – दो अलग अलग व्यक्तियों की विचार धारा अलग हो सकती है | जो बहुत सारे कारणों पर निर्भर करती है | उनकी Cultural values / Social values / Upbringing / Grooming कैसी है | आप दूसरों की Opinion से सहमत ना हों कोई बात नहीं है लेकिन दूसरों की opinion का respect करें , उनकी बातों को ध्यान से सुने , अपना पक्ष रखें , हो सके तो एक कॉमन opinion पर पहुंचें | आज देश में इतनी पोलिटिकल पार्टियाँ है मुख्य अंतर तो विचार धारा का ही है लेकिन Research बताती हैं की वाद विवाद का मुख्य कारण Opinion difference नहीं Tone of voice होता है | जैसे ही विचार धारा में अंतर आता है , कोई आपकी बात से सहमत नहीं होता है , अचानक आपकी आवाज और बोलने का अंदाज बदल जाता है | ये विवाद का मुख्य कारण है | इतिहास गवाह है इतिहास का सबसे बड़े युद्ध केवल इसी कारण से हुये कि बोलते हुये ये अंदाज नहीं रहा कि क्या बोल रहे हैं | द्रोपदी ने कहा था – अंधे के पुत्र अंधे ही होंगे इस एक बात ने महाभारत को जन्म दे दिया | कितना भी Opinion difference हो लेकिन बोलते हुये अपने शब्द / भाषा / आवाज का ध्यान रखें |
क्योंकि कहते भी हैं चोट के घाव भर जाते हैं लेकिन बोली के घाव नहीं भरते |
वाद – विवाद का तीसरा मुख्य कारण होता है | जब आप अपनी बात को या तो प्रॉपर तरीके से कह नहीं पाते या आप अपनी बात को कहते ही नहीं हैं | इससे क्या होता है Misunderstanding create हो जाती है | सामने वाला और आप अपने आप अपनी बातों के मतलब निकाल लेते हैं | इस विषय पर मैं अपनी workshop में “ Communication “ के दौरान काफी विस्तार से समझाता हूँ | अपनी बात को सपष्ट तरीके से कहें / अगर किसी से कोई समस्या है तो आप बैठ कर उससे बात करें |
वाद – विवाद का चौथा मुख्य कारण होता है People need space / distance – आज के समय में हर व्यक्ति को अपनी privacy पसंद है जब भी आप किसी की जिन्दगी में जरुरत से ज्यादा interfere करते हैं तो विवाद की स्थिति उत्पन्न हो जाती है | कई बार आप सामने वाला का अच्छा सोचते हैं / उसका अच्छा करना चाहता है लेकिन उसे आपका अपनी जिन्दगी में ज्यादा interfere पसंद नहीं है तो विवाद की स्थिति उत्पन्न हो जाती है | जैसे आज कल के बच्चों को अपनी जिन्दगी में माता – पिता का interfere भी पसंद नहीं है | तो आप इस बात को अच्छे से समझें की आपको किस की जिन्दगी में कितना हस्तक्षेप करना है इससे भी संभवित विवादों से बच सकते हैं | कभी कभी ज्यादा care / प्यार भी परेशानी का कारण बन जाता है |
वाद – विवाद का पांचवां मुख्य कारण EGO / PRIDE – आज ना कोई समझने को तैयार है / ना कोई झुकने को तैयार है | कहते हैं अपनी डफली , अपना राग | टूटते रिश्तों और परिवारों का मुख्य कारण है Ego clash | जब दो व्यक्तियों का या परिवारों का अहम् टकराता है तो बस फिर व्यक्ति सही गलत की परिभाषा को भूल जाता है | रिश्तों की मर्यादा को भूल जाता है बस एक लक्ष्य रह जाता है कैसे सामने वाले को नीचा दीखाया जाए | ये वो अवस्था होती है जब व्यक्ति आंखें होते हुये भी अँधा हो जाता है | Self-esteem / स्वाभिमान रखें लेकिन Ego नहीं | Self - esteem कब लक्ष्मण रेखा पार कर Ego में बदल जाता है ये आपको पता भी नहीं चलता क्योकि दोनों में hair line difference है और आप Ego को self – esteem मानकर बैठे रहते हैं |
वाद – विवाद का छठा मुख्य कारण जब आप किसी के बारे में उसे बिना समझे पहले से अपनी राय उसके बारे में बना लेते हैं कि ये ऐसा / ये वैसा है तो आप अपने दिमाग के शटर को बंद कर लेते हैं | अब आप उसे समझने की कोशिश भी नहीं करते जो वाद विवाद को जन्म दे देता है | हम अक्सर दूसरों के कहे अनुसार किसी के बारे में अपनी राय बना लेते हैं जो की सही नहीं है | क्योंकि हर व्यक्ति हर किसी के लिये अच्छा और हर किसी के लिये बुरा नहीं होता | कुछ लोग मुझे बहुत अच्छा मान सकते हैं , कुछ लोग बहुत बुरा – ये उनके देखने का नजरिया है कि वो मुझे कैसे देखते हैं |
वाद विवाद का सातवाँ मुख्य कारण होता है दुसरे के काम को Value ना करना , उसमें हमेशा कमियाँ निकालना – अगर आप ऐसा करते हैं तो सामने वाला ये समझने लगता है कि आपको मेरे करे की कोई value ही नहीं है , मेरे काम में कमियाँ ही कमियाँ हैं तो विवाद पैदा हो जाता है और वो जितना कर रहा होता है उतना करना भी छोड़ देता है | आपने अक्सर लोगों को बोलते सुना होगा की तुम्हे तो मेरे अन्दर कमियाँ ही कमियां नजर आती हैं |
वाद विवाद का आठवाँ मुख्य कारण जब आपकी जरुरत ज्यादा और वस्तुयें कम होती हैं | जिसे कहते हैं Lack of resources – आज की सबसे बड़ी समस्या , दूसरों को देख कर हम भी उनके जैसी सुख सुविधा चाहते हैं जब नहीं मिल पाती तो घर / ऑफिस को कुरुक्षेत्र बनते देर नहीं लगती | या तो चादर बड़ी करने के लिये प्रयास करो या जितनी चादर हो उतने ही पांव पसारो |
ये सब वो बातें थी जिनको ध्यान रखकर आप वाद विवाद में पड़ने से बच सकते हैं | कल बात करेंगे वाद – विवाद अच्छे क्यों होते हैं और परसों अगर वाद विवाद हो भी जायें तो उन्हें अच्छे से निपटायें कैसे |
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