क्या आप जानते है, अगर एक मेंढक को ठंडे पानी के बर्तन में डाला जाए और उसके बाद पानी को धीरे धीरे गर्म किया जाए तो मेंढक पानी के तापमान के अनुसार अपने शरीर के तापमान को समायोजित या एडजस्ट कर लेता है|
जैसे जैसे पानी का तापमान बढ़ता जाएगा वैसे वैसे मेंढक अपने शरीर के तापमान को भी पानी के तापमान के अनुसार एडजस्ट करता जाएगा|
लेकिन पानी के तापमान के एक तय सीमा से ऊपर हो जाने के बाद मेंढक अपने शरीर के तापमान को एडजस्ट करने में असमर्थ हो जाएगा| अब मेंढक स्वंय को पानी से बाहर निकालने की कोशिश करेगा लेकिन वह अपने आप को पानी से बाहर नहीं निकाल पाएगा|
वह पानी के बर्तन से एक छलांग में बाहर निकल सकता है लेकिन अब उसमें छलांग लगाने की शक्ति नहीं रहती क्योंकि उसने अपनी सारी शक्ति शरीर के तापमान को पानी के अनुसार एडजस्ट करने में लगा दी है| आखिर में वह तड़प तड़प मर जाता है|
मेंढक की मौत क्यों होती है ??
ज्यादातर लोगों को यही लगता है कि मेंढक की मौत गर्म पानी के कारण होती है|
लेकिन सत्य यह है कि मेंढक की मौत सही समय पर पानी से बाहर न निकलने की वजह से होती है| अगर मेंढक शुरू में ही पानी से बाहर निकलने का प्रयास करता तो वह आसानी से बाहर निकल सकता था|
हम इंसान है, मेंढक नहीं
Bonus Story - मिलकर काम करने से तरक्की होती है
दुनिया में जो तरक्की हो रही है या देश में कोई तरक्की करता है तो उसे जरूर देखना चाहिए । चाहे घर की टीम हो या बाहरी लोगों को मिलाकर बनाई हुई हो । जहाँ -जहाँ अच्छे समूह बन गए वहाँ -वहाँ तरक्की हो गई । ऐसा ही देखा गया है । आपके आस-पास जितने लोग तरक्की पसन्द हैं वो मिलकर ही काम करते होगें । उनका टीम वर्क अच्छा होगा ।
एक परिवार था वो गरीब था । खाने को कुछ नहीं था । काफी सोचा की काम मिले मगर काम नहीं मिला ।
दो बच्चे थे, बीबी थी । एक दिन उन्हें विचार आया कि इस गांव में काम मिलना मुश्किल है । चलो कहीं और चलते हैं ।
इस इरादे से वे एक दिन गांव छोड़कर चल दिये । रात का समय था, रास्ता भी जंगली था ।
सोचा वृक्ष के नीचे रात गुजारी जाये । आदमी ने अपने एक लड़के को लकड़ी चुनने तथा दूसरे को पानी लाने के लिए भेज दिया तथा बीबी को चूल्हा बनाने के लिए कहा ।
और उसने जगह साफ कर दी । चारों ने अपने-अपने काम कर लिए ।
चूल्हा जलाया गया पानी गर्म होने लग गया ।
वृक्ष के ऊपर हंस रहता था वो सोचने लगा यह कैसा मूर्ख हैं इन्होनें चूल्हा तो जला दिया मगर इन के पास पकाने को तो है ही नहीं कुछ भी ।
हंस ने उनसे पूछा - तुम्हारे पास पकाने को क्या है ? वो आदमी बोला-तुझे मार के खायेंगे ।
हंस बोला - मुझे क्यों मारोगे ? आदमी बोला - हमारे पास न पैसा है और न ही सामान तो क्या करें ?
हंस सोच में पड़ गया । इन्होनें चूल्हा भी जला लिया है ।
सब कर्मशील हैं, मुझे तो यह खा ही जायेंगे तो हंस बोला - अगर मैं आपको धन दे दूं तो मुझे छोड़ दोगे ।
घर का स्वामी बोला - हां, छोड़ देंगे ।
हंस कहने लगा मेरे साथ चलो मैं तुम्हें धन देता हूं ।
हंस उन को थोड़ी दूर ले गया और चोंच से इशारा किया और कहा कि यहां से निकाल लो ।
उन्होंने गढ्ढा खोदा और वहां से धन निकाल लिया ।
हंस का धन्यवाद कर के वापस अपने गांव आ गये और एक ही दिन में खूब मौज से रहने लग गए ।
अब उनके घर में किसी चीज की कमी नहीं थी । पड़ोसी ने देखा कि इस परिवार के पास ऐसी कौन सी चीज आ गयी जो इन के पास इतना कुछ आ गया ।
उसने छोटे लड़के को बुला कर सारी बात पूछ ली कि पैसा कहाँ से आया है ।
उनके भी दो बच्चे थे । उन्होंने भी ऐसी योजना बनाई और चल दिये ।
उन्होंने भ उसी वृक्ष के नीचे डेरा लगा लिया । आदमी ने अपने बड़े लड़के को कहा - लकड़ी लाओ तथा छोटे लड़के को पानी लाने के लिए कहा परन्तु दोनों आनाकानी करने लगे ।
बीबी ने भी कहा कि मैं थक चुकी हूं । जैसे-जैसे पानी लकड़ी इकट्ठी हो गई और पानी गर्म होने लगा ।
हंस फिर आया और बोला तुम्हारे पास खाने को तो नहीं है तो फिर पानी गर्म कर रहे हो ।
आदमी बोला तुझे मार कर खायेंगे ।
हंस मुस्कुरा उठा और बोला - मारने वाले तो तीन दिन पहले आये थे ।
तुम अपना समय खराब मत करो । घर जाओ तुम मुझे क्या मरोगे तुम तो आपस में ही लड़ रहे हो ।
जिन्होंने दूसरों को जितना होता है वे खुद नहीं लड़ते ।
संसार का नियम भी ऐसा ही है । जिन लोगों ने तरक्की करनी है वे मिलकर चलते हैं और आज भी संसार में उन का ही बोल -बाला है । जो आपसी तालमेल में रहते हैं वे ही समाज रूपी हंस को जीत सकते हैं ।
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