• गालियों का प्रभाव

    गालियों का प्रभाव: Inspirational story in Hindi

    • 2021-04-05 00:32:21
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    • Written by : Unknown
    महात्मा बुद्ध एक बार एक गांव से गुजरे। वहां के कुछ लोग उनसे शत्रुता रखते थे। उन्होंने उन्हें रास्ते में घेर लिया। बेतहाशा गालियां देकर अपमानित करने लगे। बुद्ध सुनते रहे। जब वे थक गए तो बोले, आपकी बात पूरी हो गई हो, तो मैं जाऊं। वे लोग बड़े हैरान हुए। उन्होंने कहा- हमने तो तुम्हें गालियां दीं, तुम क्रोध क्यों नहीं करते? बुद्ध बोले- तुमने देर कर दी। अगर दस साल पहले आए होते, तो मैं भी तुम्हें गालियां देता। तुम बेशक मुझे गालियां दो, लेकिन मैं अब गालियां लेने में असमर्थ हूं। सिर्फ देने से नहीं होता, लेने वाला भी तो चाहिए। जब मैं पहले गांव से निकला था, तो वहां के लोग भेंट करने मिठाइयां लाए थे, लेकिन मैंने नहीं लीं, क्योंकि मेरा पेट भरा था। वे उन्हें वापस ले गए। बुद्ध ने थोड़ा रुककर कहा- जो लोग मिठाइयां ले गए, उन्होंने मिठाइयों का क्या किया होगा? एक व्यक्ति बोला - अपने बच्चों, परिवार और चाहने वालों में बांटी होंगी। बुद्ध बोले- तुम जो गालियां लाए हो, उन्हें मैंने नहीं लिया। क्या तुम इन्हें भी अपने परिवार और चाहने वालों में बांटोगे..?
    बुद्ध के सारे विरोधी शर्मिदा हुए और वे बुद्ध के शिष्य बन गए।

    Bonus Story -  अमरत्व का फल

    एक दिन एक किसान बुद्ध के पास आया और बोला, ‘महाराज, मैं एक साधारण किसान हूं। बीज बोकर, हल चला कर अनाज उत्पन्न करता हूं और तब उसे ग्रहण करता हूं । किंतु इससे मेरे मन को तसल्ली नहीं मिलती। मैं कुछ ऐसा करना चाहता हूं जिससे मेरे खेत में अमरत्व के फल उत्पन्न हों। आप मुझे मार्गदर्शन दीजिए जिससे मेरे खेत में अमरत्व के फल उत्पन्न होने लगें।’बात सुनकर बुद्ध मुस्कराकर बोले,‘भले व्यक्ति, तुम्हें अमरत्व का फल तो अवश्य मिल सकता है किंतु इसके लिए तुम्हें खेत में बीज न बोकर अपने मन में बीज बोने होंगे?’ यह सुनकर किसान हैरानी से बोला, ‘प्रभु, आप यह क्या कह रहे हैं? भला मन के बीज बोकर भी फल प्राप्त हो सकते हैं।’ बुद्ध बोले, ‘बिल्कुल हो सकते हैं और इन बीजों से तुम्हें जो फल प्राप्त होंगे वे वाकई साधारण न होकर अद्भुत होंगे जो तुम्हारे जीवन को भी सफल बनाएंगे और तुम्हें नेकी की राह दिखाएंगे।’ किसान ने कहा, ‘प्रभु, तब तो मुझे अवश्य बताइए कि मैं मन में बीज कैसे बोऊं?’
    बुद्ध बोले, ‘तुम मन में विश्वास के बीज बोओ, विवेक का हल चलाओ, ज्ञान के जल से उसे सींचो और उसमें नम्रता का उर्वरक डालो। इससे तुम्हें अमरत्व का फल प्राप्त होगा। उसे खाकर तुम्हारे सारे दु:ख दूर हो जाएंगे और तुम्हें असीम शांति का अनुभव होगा।’ बुद्ध से अमरत्व के फल की प्राप्ति की बात सुनकर किसान की आंखें खुल गईं। वह समझ गया कि अमरत्व का फल सद्विचारों के द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है।


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