• असफलता से सीखने की कोशिश

    असफलता से सीखने की कोशिश: Inspirational story

    • 2021-04-06 03:24:48
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    • Written by : Unknown
    शेखर ने अपने दादाजी से यह सवाल पूछा - सभी भी अपने जीवन में आगे बढ़ना चाहते हैं , लेकिन बहुत काम लोग ही अपने लक्ष्य तक पहुंच पाते हैं। अगर अपने लक्ष्य तक पहुंचना है तो क्या करना चाहिए। शेखर स्नातक अंतिम वर्ष का छात्र हैं और प्रतियोगिता परीक्षाओं की तयारी कर रहा है, उसके दादाजी प्राइमरी स्कूल से रिटायर्ड शिक्षक हैं, उन्होंने शेखर का सवाल सुनने के बाद कहा - अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए व्यक्ति को सबसे पहले खुद को असफलताओं को स्वीकार करने के लिए तैयार करना चाहिए। दादाजी का जवाब सुनने के बाद शेखर ने पूछा - मैं आपकी बात समझ नहीं पाया।
    आखिर अपने आप को असफलता के लिए तैयार कर सफलता कैसे पायी जा सकती है। शेखर का सवाल सुनने के बाद दादाजी ने कहा - इस बात को मैं तुम्हारा ही उदाहरण देकर समझता हूँ। तुम इस समय प्रतियोगिता परीक्षाओं की तयारी कर रहे हो। तुम अगले वर्ष होने वाली परीक्षाओं में बैठोगे। तुम यही सोचकर बैठोगे कि तुम्हें सफलता मिलेगी। दादाजी की बात पर शेखर ने हाँ में सिर हिलाया। इसके बार दादाजी जी ने कहा - मान लो तुम अपने पहले प्रयास में असफल हो जाते हो तो तुम क्या करोगे ? शेखर ने कहा - मुझे बहुत निराशा होगी। मैं तैयारी में अपनी तरफ से कही कमी नहीं छोड़ रहा हूँ। दादाजी ने कहा - निराशा ही असफलता की जड़ है। वह कैसे, शेखर ने सवाल किया। दादाजी बोले तुम्हें लगता है कि तुम्हारी तैयारी मुकम्मल है लेकिन परीक्षा तो दूसरे की इच्छा पर निर्भर है। अगर तुम पहले प्रयास में असफल होने के बाद निराश हो जाते हो तो तुम्हारी आगे की तैयारी प्रभावित होगी। अगर तुम असफलता को अपनी कमियों को दुरस्त करने का मौका मानोगे तभी आगे की तैयारी में उन्हें दूर कर पाओगे। हर परीक्षार्थी यही सोचता है कि उसकी तैयारी पूरी है, लेकिन सफलता कुछ लोगों को ही मिलती है। ये वही लोग होते हैं जो अपनी असफलता से सीखते हैं ही और दूसरों की असफलता से भी सीखने की कोशिश करते हैं।

    Bonus Story - आत्‍म विश्‍वास मूर्ख को भी महान बना सकता है।


    एक बहुत ही शरारती लड़का, जिसका पढ़ने-लिखने में बिल्‍कुल मन नहीं लगता था, उसे एक दिन School की Teacher ने एक Letter दिया और कहा, “यह Letter घर जाकर अपनी माँ को दे देना, याद रहे अपनी माँ के अलावा किसी और को मत देना।“ उस लड़के ने घर आकर वह Letter अपनी माँ को देते हुए कहा, “माँ,ये लीजिए, यह Letter मेरी Teacher ने केवल आपको ही देने के लिए कहा है।“ माँ ने उस Letter को खोलकर पढ़ा तो उसकी माँ का चेहरा थोड़ा दु:खी सा हो गया। माँ के इस तरह मुरझाए हुए चेहरे को देखकर उस लड़के ने अपनी माँ से पूछा, “माँ, इसमें ऐसा क्या लिखा है जिससे आपका चेहरा मुरझा गया है। लाओं मैं पढ़ता हूँ।“ माँ ने कहा, “नहीं बेटा, मैं पढ़कर सुनाती हूँ और माँ ने ऊँची आवाज में पढ़ना शुरू किया। आपका बेटा बहुत ही Genius है और इसके लिए हमारा ये School बहुत ही छोटा है। यहाँ इसके लायक कोई Teacher नहीं है इसलिए अगर आपसे हो सके तो इसे आप स्वयं ही पढ़ाईये।“ धीरे-धीरे समय बीतता गया और वह लड़का आगे चलकर एक बहुत ही बड़ा Inventor बना। कुछ समय के बाद उसके माँ की मृत्यु हो गई। एक दिन वह लड़का अपनी कोई File खोज रहा था, तभी उसकी नजर Drawer में एक Fold किए हुए Paper पर गई। उस लड़के ने उस Paper को पढ़ना शुरू किया। यह वही Letter था जो उसे School से दिया गया था और इस पर लिखा था, “आपका बेटा बहुत ही शरारती है। इसका पढ़ाई-लिखाई में बिल्‍कुल मन नहीं लगता। इसलिए इस School में इसे आगे पढ़ाना सम्‍भ्‍व नहीं है। आप इसे किसी अन्‍य School में भेज दें।“ ये घटना है Bulb का आविष्‍कार करने वाले महान वैज्ञानिक Mr. Thomas Alva Edison के जीवन की, जो कि बचपन से ही Autism नाम की एक मानि‍सक बीमारी से ग्रस्‍त थे लेकिन अपनी माँ की समझदारी के कारण Genius बन गए। यदि उनकी माँ ने उन्‍हें उस Letter को वैसा ही पढ़कर सुना दिया होता, जैसा Teacher ने लिखा था, तो शायद हम आज भी चिमनी, लालटेन, माेमबत्‍ती या लेम्‍प जलाकर ही जी रहे होते।


2 Comments

  • Kamlesh aneriya

    Kamlesh aneriya 2021-07-21 20:33:37

    Apki har kahani or message jeevan m nai urja bhar deta h

  • Maya devi goyal

    Maya devi goyal 2021-07-21 21:00:48

    Wow, Great stories 👌👌 Aap roj daily story share krte h . Great efforts 👏 saurabh ji Aapki sab yey story hum sabko nai umeed, Josh aur ache karmo ko krne k liye prerit krte h. Aur ek positive engry creat kr dete h Thanku so much "Pragya Institute of Personality Development " and "Saurabh Ji" For sharing your daily motivational, inspiration story


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