•  दिखावे का फल

    Motivational story on दिखावे का फल in Hindi

    • 2021-04-01 05:21:27
    • Puplic by : Admin
    • Written by : Unknown
    मैनेजमेंट की शिक्षा प्राप्त एक युवा नौजवान की बहुत अच्छी नौकरी लग जाती है, उसे कंपनी की और से काम करने के लिए अलग से एक केबिन दे दिया जाता है। वह नौजवान जब पहले दिन office जाता है और बैठ कर अपने शानदार केबिन को निहार रहा होता है तभी दरवाजा खट -खटाने की आवाज आती है दरवाजे पर एक साधारण सा व्यक्ति रहता है , पर उसे अंदर आने कहनेँ के बजाय वह युवा व्यक्ति उसे आधा घँटा बाहर इंतजार करनेँ के लिए कहता है। आधा घँटा बीतनेँ के पश्चात वह आदमी पुन: office के अंदर जानेँ की अनुमति मांगता है, उसे अंदर आते देख युवक टेलीफोन से बात करना शुरु कर देता है. वह फोन पर बहुत सारे पैसोँ की बातेँ करता है, अपनेँ ऐशो – आराम के बारे मेँ कई प्रकार की डींगें हाँकनेँ लगता है, सामनेँ वाला व्यक्ति उसकी सारी बातेँ सुन रहा होता है, पर वो युवा व्यक्ति फोन पर बड़ी-बड़ी डींगें हांकना जारी रखता है. जब उसकी बातेँ खत्म हो जाती हैँ तब जाकर वह उस साधारण व्यक्ति से पूछता है है कि तुम यहाँ क्या करनेँ आये हो? वह आदमी उस युवा व्यक्ति को विनम्र भाव से देखते हुए कहता है , “साहब, मैँ यहाँ टेलीफोन रिपेयर करनेँ के लिए आया हुँ, मुझे खबर मिली है कि आप जिस टेलीफोन से बात कर रह थे वो हफ्ते भर से बँद पड़ा है इसीलिए मैँ इस टेलीफोन को रिपेयर करनेँ के लिए आया हूँ।” इतना सुनते ही युवा व्यक्ति शर्म से लाल हो जाता है और चुप-चाप कमरे से बाहर चला जाता है। उसे उसके दिखावे का फल मिल चुका होता है. कहानी का सार यह है कि जब हम सफल होते हैँ तब हम अपनेँ आप पर बहुत गर्व होता हैँ और यह स्वाभाविक भी है। गर्व करनेँ से हमे स्वाभिमानी होने का एहसास होता है लेकिन  एक सी के बाद ये अहंकार का रूप ले लेता है और आप स्वाभिमानी से अभिमानी बन जाते हैं और अभिमानी बनते ही आप दुसरोँ के सामनेँ दिखावा करने लगते हैं । अतः हमें ध्यान रखना चाहिए कि हम चाहे कितने भी सफल क्यों ना हो जाएं व्यर्थ के अहंकार और झूठे दिखावे में ना पड़ें अन्यथा उस युवक की तरह हमे भी कभी न कभी शर्मिंदा होना पड़ सकता है।

    Bonus Story - बड़ा काम छोटा काम


    शहर की मेन मार्केट में एक गराज था जिसे अब्दुल नाम का मैकेनिक चलाता था . वैसे तो अब्दुल एक अच्छा आदमी था लेकिन उसके अन्दर एक कमी थी , वो अपने काम को बड़ा और दूसरों के काम को छोटा समझता था . एक बार एक हार्ट सर्जन अपनी लक्ज़री कार लेकर उसके यहाँ सर्विसिंग कराने पहुंचे . बातों -बातों में जब अब्दुल को पता चला की कस्टमर एक हार्ट सर्जन है तो उसने तुरन्त पूछा , “ डॉक्टर साहब मैं ये सोच रहा था की हम दोनों के काम एक जैसे हैं… !” “एक जैसे ! वो कैसे ?” , सर्जन ने थोडा अचरज से पूछा . “देखिये जनाब ,” अब्दुल कार के कौम्प्लिकेटेड इंजन पर काम करते हुए बोल , “ ये इंजन कार का दिल है , मैं चेक करता हूँ की ये कैसा चल रहा है , मैं इसे खोलता हूँ , इसके वाल्वस फिट करता हूँ , अच्छी तरह से सर्विसिंग कर के इसकी प्रोब्लम्स ख़तम करता हूँ और फिर वापस जोड़ देता हूँ …आप भी कुछ ऐसा ही करते हैं ; क्यों ?” “हम्म ”, सर्जन ने हामी भरी . “तो ये बताइए की आपको मुझसे 10 गुना अधिक पैसे क्यों मिलते हैं, काम तो आप भी मेरे जैसा ही करते हैं ?”, अब्दुल ने खीजते हुए पूछा . सर्जन ने एक क्षण सोचा और मुस्कुराते हुए बोला , “ जो तुम कर रहे हो उसे चालू इंजन पे कर के देखो , समझ जाओगे .”अब्दुल को इससे पहले किसी ने ऐसा जवाब नही दिया था, अब वह अपनी गलती समझ चुका था. Friends, हर एक काम की अपनी importance होती है , अपने काम को बड़ा समझना ठीक है पर दूसरों के काम को कभी छोटा नहीं समझना चाहिए ; हम औरों के काम के बारे में बस उपरी तौर पे जानते हैं लेकिन उसे करने में आने वाले challenges के बारे में हमें कुछ ख़ास नहीं पता होता . इसलिए किसी के काम को छोटा नहीं समझें और सभी की respect करें .

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