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    Unleashing Limitless Creativity: A Motivational Hindi Story

    • 2021-04-06 03:51:34
    • Puplic by : Admin
    • Written by : Unknown
    एक बार गौतम बुद्ध से उनके शिष्य ने पूछा कि बताइए कि कर्म क्या है? गौतम बुद्ध ने कहा आओ तुम्हें एक कहानी सुनाता हूँ। एक बार एक राजा हाथी पर बैठके अपने राज्य का भ्रमण कर रहा था और घुमते घूमते एक दुकान के आगे आकर के रुक गया। रुकने के बाद उसने अपने मंत्री से कहा कि मालूम नहीं क्यूँ ऐसा विचार आ रहा है कि इस दुकानदार को मै फांसी पर लटका दूँ। मंत्री इससे पहले कि कुछ पूछ पाते कि राजा साहब ने ऐसा क्यूँ कहा ऐसा उन्हे क्यूँ लगा तब तक राजा साहब आगे बढ़ चुके थे। मंत्री से रहा नहीं गया अगले दिन मंत्री ने भेष बदलकर आम जनता के भेष मे उस दुकान पर पहुँचे और उन्होने देखा कि दुकानदार जो है वो चंदन की लकड़ी बेचता है। मंत्री ने पूछा कि काम धंधा कैसा चल रहा है? दुकानदार ने बोला कि बहुत बुरा हाल है क्या बताऊँ आपको।  लोग आते है चंदन को सूँघते है, तारीफ करते है लेकिन खरीदते नहीं है। भगवान पर भरोसा रखो। मै सिर्फ इस इन्तेजार मे बैठा हूँ कि कब हमारे राज्य के राजा साहब मरे ताकि उनके अंतिम संस्कार मे जो लकड़ी उपयोग मे आए, बहुत सारी चंदन की लकड़ी का इस्तेमाल होगा। वहाँ से शायद मेरी जिंदगी मे बदलाव आए। मंत्री को सारा खेल समझ आ गया। उन्होने सोचा कि ये दुकानदार जो सोच रहा है यही विचार है नकारात्मक वाले, तभी राजा साहब जब यहा से गुजर रहे थे तो उनके दिमाग मे भी नकारात्मक विचार ही आया। बुद्धिमान मंत्री था उसने एक विचार सोचा, उन्होने कहा कि थोड़ी सी चंदन की लकड़ी मै खरीदना चाहता हूँ। दुकानदार भी खुश हुआ कि चलो कोई तो ग्राहक आया। उसने खूब अच्छे से चंदन की लकड़ी को कागज मे लपेट के मंत्री को दे दी। अगले दिन मंत्री चंदन की लकड़ी को लेकर दरबार पहुँचे और कहा कि राजा साहब वो जो दुकानदार था उसने आपके लिए तोहफा भेजा है। राजा साहब बहुत खुश हुए और सोचा कि मै तो फालतू मे उसे फांसी देने की सोच रहा था, उसने तो मेरे लिए तोहफा भेजा है। तोहफा देखा गया तो उसमे चंदन की लकड़ी थी बहुत सुगंधित थी, राजा साहब बहुत खुश हुए। राजा साहब ने तुरंत उस दुकानदार के लिए सोने के सिक्के भिजवाए। मंत्री अगले दिन उस सोने के सिक्के को लेकर उस दुकानदार के पास पहुँचा फिर से आम जनता के भेष मे। ये कहानी आपके जीवन को बदल देगी। दुकानदार बहुत खुश हुआ और बोला कि मै फालतू सोच रहा था कि राजा को दुनिया से चले जाना चाहिए। राजा साहब तो बहुत अच्छे है दयालु है। ये छोटी सी कहानी खत्म हुई तो गौतम बुद्ध ने अपने शिष्यों से पूछा कि अब आपलोग बताइए कि कर्म क्या है? शिष्यों ने कहा कि जो हमारे शब्द है वो कर्म है हम जो काम कर रहे हैं वो हमारा कर्म है हम जो भावनाएँ रखते है वो कर्म है।
    गौतम बुद्ध ने कहा कि आपके विचार ही आपके कर्म है। आपने यदि अपने विचारों को नियंत्रित करना सीख लिया तो आप सबसे महान है। अच्छा सोचिए तभी तो अच्छा होगा। कभी अपने अंदर नकारात्मक ख़याल मत आने दीजिए। क्यूंकि पाना वही है जो आप दूसरों को देते है।


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