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										 मुर्ख बन्दर की कहानी: short moral story in hindi
						- 2021-04-07 03:17:49
- Puplic by : Admin
- Written by : Unknown
 एक बार की बात है एक भयंकर सर्द वाली बरसात की ठंडी और खामोश रात थी। मौसम में ठण्ड थी। किसी जंगल में एक पेड़ पर बंदरों का समूह था। वे इसकी शाखाओं से चिपके हुए थे। बंदरों में से एक ने कहा, “काश हम कुछ आग पा सकते। यह हमें गर्म रखने में मदद करेगा।” अचानक उन्हें जुगनू का झुंड दिखाई दिया। युवा बंदरों में से एक ने सोचा कि यह आग थी। उसने एक जुगनू पकड़ा। उसने एक सूखे पत्ते के नीचे रख दिया और उस पर उड़ने लगा। उनके प्रयासों में कुछ अन्य बंदर भी शामिल हुए। इस बीच एक गौरैया अपने घोंसले के पास उड़ती हुई आई, जो उसी पेड़ पर थी जिस पर बंदर बैठे थे। उसने देखा कि वे क्या कर रहे थे। गौरैया हँस पड़ी। उसने कहा, “अरे मूर्ख बंदर जो जुगनू हैं, असली आग नहीं। मुझे लगता है कि आप सभी को एक गुफा में शरण लेनी चाहिए, यहाँ तक की आप लोगो के पास तो हाथ पाँव भी है चाहे तो ठंडी और बरसात से बचने के लिए खुद का अपना घर बना सकते है ।”बंदरों ने गौरैया की बात नहीं सुनी, और वे जुगनू को पकड़ते रहे। कुछ समय बाद बंदर बहुत थक गए। अब उन्हें एहसास हुआ कि गौरैया ने जो कहा था वह सही था। उन्होंने जुगनू को आज़ाद कर दिया, और गुस्से से गौरेया के घोसले के पास आये और उनका घोसला उजाड़ दिया और यह कहते हुए गुफा में चले गए की तुम्हारे पास इतनी ही ज्ञान है तो फिर से अपना नया घर बना लेना, हमे तुम्हारे ज्ञान की जरूरत नही है.
 
 कहानी से शिक्षा :- इस कहानी ए हमे यही शिक्षा मिलती है की कभी की किसी को मुर्ख को ज्ञान देना अपने लिए मुसीबत मोल लेना होता है इसलिए कभी भी किसी मुर्ख को अच्छी बाते बोलने से पहले एक बार सोच विचार जरुर कर लेना चाहिए.
 
 Bonus Story - जोकर की सीख
 
 एक बार एक जोकर सर्कस मे लोगो को एक चुटकुला सुना रहा था।  चुटकुला सुनकर लोग खूब जोर-जोर से हंसने लगे । कुछ देर बाद जोकर ने वही चुटकुला दुबारा सुनाया । अबकी बार कम लोग हंसे । थोडा और समय बीतेने के बाद तीसरी बार भी जोकर ने वही चुटकुला सुनाना शुरू किया ।
 
 पर इससे पहले कि वो अपनी बात ख़त्म करता बीच में ही एक दर्शक बोला, ” अरे ! कितनी बार एक ही चुटकुला सुनाओगे…. कुछ और सुनाओ अब इस पर हंसी नहीं आती। “
 जोकर थोड़ा गंभीर होते हुए बोला , ” धन्यवाद भाई साहब , यही तो मैं भी कहना चाहता हूँ…. जब ख़ुशी के एक कारण की वजह से आप लोग बार- बार खुश नहीं हो सकते तो दुःख के एक कारण से बार-बार दुखी क्यों होते हो , भाइयों हमारे जीवन में अधिक दुःख और कम ख़ुशी का यही कारण है…हम ख़ुशी को आसानी से छोड़ देते हैं पर दुःख को पकड़ कर बैठे रहते हैं … “
 
 मित्रो इस बात का आशय यह है कि जीवन मे सुख-दुःख का आना-जाना लगा रहता है ।पर जिस तरह एक ही खुशी को हम बार बार नही महसूस करना चाहते उसी तरह हमें एक ही दु:ख से बार-बार  दुखी नहीं महसूस करना चाहिए । जीवन मे सफलता तभी मिलती है जब हम दु:खो को भूलकर आगे बढने का परयत्न करते है ।
 
 
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