• सही समय का इंतज़ार

    सही समय का इंतज़ार: motivational story in hindi

    • 2021-04-07 04:09:20
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    एक बार की बात है गौतम बुद्ध (gautam buddha) अपने शिष्यों के साथ एक गाँव से दूर किसी बड़े नगर  की तरफ जा रहे थे | गर्मी के दिन थे और रास्ता  भी बहुत लंबा था |  गौतम बुद्ध (gautam buddha) अपने शिष्यों   सहित बहुत देर से चल रहे थे जिस वजह से उन्हे बहुत प्यास लगती है | वहाँ से कुछ ही दूरी पर बरगद के वृक्ष की एक घनी छाँव थी सभी लोग उस वृक्ष के पास पहुँच जाते है  महात्मा बुद्ध अपने शिस्यों सहित वृक्ष की घनी छाया के नीचे विश्राम करने लगते है | बहुत देर से चलने की वजह से सभी का गला प्यास से सूख रहा था | यह बात बुद्ध जानते थे बुद्ध ने अपने एक शिस्य को कहा , आप इस बरगद की छाया से 20 कदम दूर जाकर बरगद की 2 बार परिक्रमा  करके वापिस आओ | शिस्य वैसा ही करता है जैसा बुद्ध (gautam buddha) ने बताया | परिक्रमा के बाद जब शिस्य महात्मा बुद्ध के पास आया तो  बुद्ध (gautam buddha) बोले की क्या आपको किसी ठंडी हवा का अनुभव हुआ था | शिस्य बोला   हाँ महात्मा बुद्ध  उस उत्तर दिशा की तरफ से मुझे कुछ ठंडी हवा की अनुभव हुआ था | शिस्य की यह बात सुन महात्मा बुद्ध (gautam buddha) शिस्य से  तुरंत बोले की उसी दिशा मे चले जाओ ज़रूर वहाँ से  कुछ ही दूर पर एक तालाब अवश्य मिलेगा | उस तालाब से सब के  लिए पानी ले आओ | शिस्य उसी दिशा मे जब कुछ दूर जाता है तो वहाँ सच मे एक तालाब होता है | तालाब देख शिस्य बहुत प्रसन्न होता है  और तालाब के निकट जाकर  जैसे ही तालाब से पानी भरने वाला होता है तभी शिस्य की नज़र वहाँ दूर तालाब मे कपड़े धो रही कुछ स्त्रियो पर जाती है | यह देख शिस्य  मन मे सोचते है की यह पानी तो गंदा हो गया है  | लेकिन जब शिस्य ध्यान से  तालाब के पानी को देखते है की अभी भी तालाब का कुछ पानी साफ है इतने मे दो  बैल गाड़ी ज़ोर से तालाब के किनारे से होती हुई निकल जाती है | बैल गाड़ी  के पहिये तालाब की मिट्टी के ऊपर इतनी ज़ोर से निकलते है की  तालाब के नीचे बैठी बहुत सारी मिट्टी तालाब के ऊपर आजाति है जिस वजह से तालाब का बचा हुआ पानी भी गंदा हो जाता है | यह देख शिस्य बिना पानी लिए क्रोध मे महात्मा बुद्ध (gautam buddha)  के पास वापिस चला जाता है | शिस्य बड़े ही निराशा भाव से महात्मा बुद्ध  (gautam buddha)  को सब बात बताता है | शिस्य की बाते सुन सभी शिस्य बोलते है की हमे तुरंत यहाँ से निकलना चाहिए  किसी दूसरी जगह पानी की खोज करनी चाहिए वरना प्यास के मारे जन निकाल जाएगी | इधर महात्मा बुद्ध (gautam buddha) सभी को शांत होने के लिए कहते है और बोलते है की धीरज रखो कुछ देर यही बैठो । उचित समय आने तक संयम बनाए रखो  | सभी महात्मा बुद्ध (gautam buddha) की बात सुन कर शांत हो जाते है और वही बैठ जाते है | कुछ समय बीत जाने के बाद महात्मा बुद्ध (gautam buddha) फिर  से अपने शिस्य को उसी तालाब से पानी लाने के लिए कहते है |  शिस्य बिना कोई सवाल किए उसी तालाब से पानी लेने के लिए फिर से चला जाता है | तालाब की हालत देख  शिस्य को यकीन नहीं होता | तालाब का पानी पूरी तरह से साफ होता है | यह देख शिस्य बहुत खुश होता है ओर पानी भर कर महात्मा बुद्ध (gautam buddha) के पास जाता है , सभी पानी पी कर अपनी प्यास बुझते है | लेकिन अभी भी सब के मन मे ये एक सवाल था की आखिर यह चमत्कार हुआ कैसे तालाब का सब पानी तो गंदा था | उन्हे लगा की ज़रूर ये बुद्ध (gautam buddha) की शक्ति है | इनमे एक शिस्य ने यह सवाल महात्मा बुद्ध (gautam buddha) से पूछ ही  लिया की यह चमत्कार आपने कैसे किया | शिस्य का जवाब देते हुए महात्मा बुद्ध बोले की  –  यह कोई चमत्कार नहीं यह आपके सब्र का फल है | यह फल है आपके सब्र बनाए रखते हुए  उचित समय के इंतज़ार का |  जितनी देर हम सब लोगो ने सब्र किया उतनी देर तक तालाब के पानी के ऊपर तैर रहे सभी गंदे तत्त्व और मिट्टी तालाब के पानी के नीचे बैठ रहे  थे  | फिर  कुछ देर बाद  शिस्य जब वहाँ तालाब के पास पहुंचा तब तक सब दूसित कण नीचे बैठ चुके थे जिस वजह से तालाब का पानी पहले की तरह  साफ हो चुका था तथा  तालाब साफ दिखाई दे रहा था | यदि उस समय आप लोगो ने सब्र न किया होता , धैर्य न रखा होता तो आप सब इतनी गर्मी मे पानी की खोज मे प्यासे रह कर शायद अब तक  मृत्यु को प्राप्त हो गए होते क्योकि यहाँ से अगला कोई तालाब है या नहीं और होगा भी तो क्या उसका पानी साफ होगा या नही इन सब कारणो से आप कभी प्यास न बुझा पाते और प्यास से मर जाते |


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