• Skills Development Story

    Skills Development Story: hindi moral story

    • 2021-04-07 01:22:57
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    • Written by : Unknown
    सोनू जो की पढने में बहुत ही तेज था जबकि उसके माता पिता बहुत ही गरीब थे जो की मिट्टी के बर्तन को बनाते थे और उन्हें बेचकर अपना जीवन गुजारा कर रहे थे जिसे देखकर सोनू अक्सर सोचा करता था की मै ऐसा क्या करू जिससे मेरे परिवार की गरीबी दूर हो जाये जिसके चलते वह खूब मन लगाकर पढता था और उसने पढाई में कला विषय भी ले रखा था जो की उसे बहुत प्रिय था वह अक्सर खाली समय में तरह तरह के चित्रकारी बनाया करता था | एक बार की बात है उसके गाँव के पास ही मेला लगा था जहा पर दूर दूर लोग मेला देखने और मेले में अपने सामान बेचने आये थे जिसके बाद सोनू के सभी दोस्तों ने मेला देखने जाने का फैसला किया जिसपर सोनू भी मेला देखने का बहुत मन था लेकिन उसके पास इतने पैसे भी नही थे की वह मेले में जाकर खूब खरीदारी करे, जिसके बाद दोस्तों के बार बार आग्रह पर सोनू भी 10 रूपये लेकर मेला देखने गया, मेले में तरह तरह के अनेक खिलौने, खाने के सामान, बर्तन और बहुत सारी चीजे बिक रही थी लेकिन सोनू के पास तो इतने पैसे भी नही थे की वह कुछ चीजे ख़रीदे फिर इतने में घूमते घूमते सोनू एक मिट्टी वाले बर्तन के पास आकर रुका और उससे पूछा की “यह सुराही कितने का है” तो दुकानदार ने जवाब दिया “100 रूपये का है” जिसे सुनकर सोनू मन ही मन सोचने लगा की यह तो बहुत महंगा है इसके बाद उसने साधारण सी दिखने वाली सुराही का दाम पूछा तो दुकानदार ने उसका दाम 10 रूपये बताये, जिसे सुनकर सोनू एक बार फिर से मन ही मन सोचने लगा की आखिर दोनों के दामो में इतना फर्क क्यों है, इसके बाद उसने दुकानदार से पूछा की इन दोनों के दामो में इतना फर्क क्यों है जिसपर दुकानदार ने जवाब दिया की “तुम्हे इन दोनों सुराही में फर्क नही दिखता है, 100 रूपये वाली सुराही पर सुंदर चित्रकारी किया गया है जिसके कारण वह सुंदर दिखता है जबकि 10 रूपये वाले सुराही पर कोई चित्रकारी नही है जिसके कारण वह साधारण सा दिखता है इसलिए जो ज्यादा सुंदर है उसका दाम भी अधिक है” दुकानदार की यह बात सुनकर सोनू को अब समझ आ गया था की सुराही के दाम तो चित्रकारी पर निर्भर है अगर वह भी ऐसे अपने माता पिता के बनाये हुए बर्तनों पर चित्रकारी करता है तो फिर उन बर्तनों के दाम भी बहुत अच्छे मिलेगे जिससे उसके परिवार की गरीबी भी दूर हो सकती है, फिर क्या था सोनू के मन में खुद के प्रतिभा को निखारने एक नया आईडिया मिल गया था उसने बिना समय गवाए मेले में 10 रूपये से खूब रंग बिरंगे रंग और और ब्रश खरीद लिए और अपने दोस्तों के साथ वापस घर आ गया. और फिर ये सारी बाते अपने माता पिता से बता दिए जिसे सुनकर उसके माता पिता बहुत खुश हुए और अब सोनू अगले दिन से पढाई के बाद कुछ समय चित्रकारी के लिए भी फिक्स कर दिया जिसके बाद वह बर्तनों पर सुंदर सुंदर चित्रकारी बनाने लगा और जब कुछ बर्तनों पर चित्रकारी बनकर तैयार हो गया तो उसके बाद उसके पिताजी अगले दिन बाजार में बेचने गये जिसके बाद उन्ही चित्रकारी किये बर्तनों के दाम पहले से ज्यादा मिलने लगे और ये सुंदर चित्रकारी किये हुए बर्तन भी जल्दी से बिकने लगे, जिसके बाद सोनू की प्रतिभा के दम पर उसके माता पिता के कारोबार में वृद्धि होने लगी जिसके बाद धीरे सोनू की इस मदद से उनके घर की गरीबी भी दूर होने लगी और इस तरह सोनू के कार्यो से परिवार के अच्छे दिन आ गये जैसा की बिल गेट्स ने भी कहा है की “अगर आप गरीबी में पैदा होते है तो आपका दुर्भाग्य नही है लेकिन अगर गरीबी में मरते है तो ये आपका दुर्भाग्य है” यानि आपने अपने जीवन में गरीबी को खत्म करने के लिए कोई कोशिश ही नही किया, ईश्वर ने सभी इंसानों को इस धरती पर किसी न किसी प्रतिभा के साथ जरुर भेजते है जरूरत हम इंसानों को उस प्रतिभा को निखारने की होती है |


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