• सीख

    सीख: Motivational story which will blow up your mind

    • 2020-08-29 03:56:38
    • Puplic by : Admin
    • Written by : Unknown
    नम्बर कम आने की वजह से मैंने पटना विश्व विद्यालय के दूरस्थ शिक्षा माध्यम से स्नातक में नामांकन करा लिया।
    परन्तु मुझे यह कहने में बहुत ही झेंप महसूस होती थी, इसलिए मैं अक्सर दूसरे को कहा करता था कि मैं वाणिज्य महाविद्यालय में पढ़ता हूँ।
    एक बार की बात है, मैं बगल के बैंक में खाता खुलवाने के लिए गया था।
    वहां बातचीत के क्रम में बैंक मैनेजर ने मुझसे पूछ लिया, बाबू, तुम कहाँ पढ़ते हो ?
    आदतन मैंने कह दिया कि वाणिज्य महविद्यालय-द्वितीय वर्ष।
    फिर उन्होंने मुझसे पूछा कि अभी वहां के प्रिंसिपल कौन हैं ?
    अब तो मेरे पास कोई जवाब ही नहीं था। परन्तु अपने हाव-भाव को छुपाते हुए मैंने कह दिया कि पता नहीं सर क्योंकि मैं ज्यादा नहीं जाता हूँ। तब उन्होंने दूसरा सवाल दाग दिया कि अकाउन्टेंस कौन पढ़ाते हैं ?
    अब तो मैं निरुत्तर हो गया क्योंकि इसका गलत उत्तर देते साथ ही मेरी चोरी पकड़ी जाती। मैं बगल-बगल देखने लगा। संभवतः उनकों वाकया समझते देर नहीं लगी ।
    उन्होंने कहा, ऐसे हो ही नहीं सकता कि कोई विद्यार्थी यह नहीं जाने की उसके कॉलेज का प्रिंसिपल कौन है चाहे वह कितना ही कम क्यों न कॉलेज जाता हो।
    मैं भी वाणिज्य महाविद्यालय का स्टूडेंट रहा हूँ इसलिए जिज्ञासावश पूछ लिया था।
    मैंने बहुत ही लज्जित होकर पूरी सच्ची कहानी कह डाली।
    तब उन्होंने समझाया कम नंबर आने के कारण कॉलेज में एडमिशन न हो पाना गलत नहीं है परन्तु झूठ बोलना तो निहायत ही गलत है।
    तुम्हारा कम नंबर आने के कारण एडमीशन नहीं हो पाया, मगर तुम अभी से कोशिश करोगे तो निश्चित ही तुम अच्छा मुकाम पा जाओगे।
    परन्तु इसके लिए तुम्हें अपनी कमजोरी को छिपाना नहीं चाहिए बल्कि उसको एक आधार मानकर बड़ी मजबूती से अपनी मंजिल को पाने के लिए कोशिश करनी चाहिए।
    बैंक मैनेजर की वह सीख हमेशा के लिए मेरे मन मस्तिष्क में अंकित हो गई।
    निरंतर प्रयास से आज मैं सराकरी सेवा में हूँ।

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