आज मैं आपको एक ऐसी कहानी बताऊंगा जिसे सुनने के बाद आपको लगेगा कि कुछ लोगों की सोच कैसी होती है यानी कि उनको कितना भी अच्छा मिल जाए लेकिन वह अपने बुरे का साथ नहीं छोड़ते हैं यह जो बात मैंने लिखी है अर्थ तो आपको कहानी के अंत में समझ में आएगा लेकिन आपका ज्यादा वक्त ना लेते हुए मैं इस कहानी को शुरू करता हूं
दोस्तों एक बार की बात है एक बार एक राजा बहुत ज्यादा खुश था और अपनी खुशी को जाहिर करने के लिए उसने राज्य में भ्रमण किया अपने साथ कुछ सिपाहियों को लेकर गया क्योंकि सिपाहियों के पास कुछ सिक्के थे( सोने के सिक्के) राजा लोगों की सुनवाई कर रहा था और उनको समाधान बता रहा था लोग उनसे भी खुश हो रहे थे और वह बदले में उनको उपहार दे रहा था सोने के सिक्के के रूप में
देखते-देखते काफी समय बीत चुका
राजा लोगों की सुनवाई कर रहा था और लोगों को उपहार दे रहा था
लेकिन उसकी नजर एक भिखारी पर पड़ी वह उदास बैठा हुआ था
उसने उस भिखारी को बुलाया और सैनिको को आदेश दिया कि तुम एक सोने का सिक्का इसे भी दे दो सैनिको ने उसे सोने का सिक्का दे दिया भिखारी जैसे ही थोड़ा आगे पहुंचा
तो बगल मे एक नाला था और भिखारी का सोने का सिक्का उस नाले में गिर गया भिखारी परेशान हो गया बड़ी मुश्किल से उसको एक सोने का सिक्का मिला था भिखारी उस सोने के सिक्के को ढूंढने के लिए मेहनत करने लगा काफी देर से वह मेहनत कर रहा था यह सब दृश्य राजा देख रहा था उसने अपने सिपाहियों से कहां कि उसे वापस बुलाइये सिपाही उसको बुला कर लाए
भिखारी ने राजा को अपनी दास्तां सुनाई
राजा ने कहा कि ठीक है तुम अपना समय बर्बाद मत करो मैं तुम्हें एक और सोने का सिक्का देता हूं
भिखारी सोने का सिक्का लेने के बाद वापस वही पहुंच गया और वापस नाले में
सिक्का ढूंढने लगा
एक बार राजा ने वापस प्रयास किया सोने के सिक्के को ना ढूंढो उसको एक और सिक्का दिया गया
यानि की टोटल 3 सिक्के दिए भिखारी के पास दो सिक्के थे एक सिक्का उसने गंवा दिया लेकिन एक खोने के बाद भी उसका ध्यान उस गुम हुए सिक्के पर था