• मजबूत इच्छाशक्ति की रोचक कहानी

    मजबूत इच्छाशक्ति की रोचक कहानी: Short interesting story

    • 2020-08-25 04:14:51
    • Puplic by : Admin
    • Written by : Unknown
    काफी समय पहले की बात है,जॉन रेम्बलिंग नाम का एक इंजीनियर था, यह 1883 की बात है। उसके दिमाग में एक विचार आया कि मैं न्यूयॉर्क और लोंग आईलैंड के बीच में एक पुल बनाना चाहता हूं। तो उसकी इस बात पर किसी ने उसका विश्वास नहीं किया,  क्योंकि सभी को लगता था यह असंभव सा कार्य है और यह नहीं हो सकता। इसलिए लोगों ने मान लिया था  कि यह नामुमकिन है, लेकिन जॉन को यह लगता था कि यह मुमकिन है।  उन्होंने अपने बेटे को मनाया और उसी के साथ लग गए उनके पुत्र का नाम वाशिंगटन था दोनों बाप बेटे ने  एक साथ मिलकर इस पुल  के हजारों नक्शे बनाए  और हर परिस्थिति का सामना करने करते हुए आगे बढ़ते रहे।  सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था।  निर्माण स्थल पर एक दुखद हादसे में जॉन रैंबो लिंग की मौत हो गई  और उनके पुत्र वाशिंगटन के दिमाग में कुछ ऐसा आघात लगा  कि वह बात करने लायक भी नहीं रहा।  तरह तरह की बातें लोग उनके बारे में करने लगे,    किसी ने भी उनके इस काम की सराहना नहीं की, यहां तक कि कुछ समझदार लोगों ने यह भी कहा कि  इनको अब अपना बोरी बिस्तर समेट लेना चाहिए।    शारीरिक अपंगता के बाद भी वाशिंगटन परेशान नहीं हुआ  और इतना होने के बाद भी उत्साह और लगन से अपने पापा के  सपने को पूरा करने के लिए लग गया  एवं उसके पिता का शरीर पूरी तरह से खराब हो चुका था।     अस्पताल में लेटे हुए उनके माइंड में एक आइडिया कौंधा।  उन्होंने अपनी उंगली को हिला कर अपनी पत्नी से  बातचीत करने का अनोखा आईडिया इजाद किया और  इशारो इशारो में बात करने लगा और किस तरीके से  पुल को बनाया जा सकता है आप यकीन नहीं मानेंगे इस  काम को पूरा होने में तकरीबन 13 वर्ष लगे     पुल बनकर कंप्लीट हो गया और उस पुल का नाम ब्रुकलिन पुल है , जो कि अपनी विशालता के चलते आज बहुत प्रसिद्ध है,  यह कहानी हमें बताती है कि इच्छाशक्ति अगर मजबूत हो तो,  नामुमकिन कुछ नहीं है, हार वो लोग मानते हैं जिनको खुद पर यकीन नहीं होता  सफल वह लोग होते हैं, जिनको खुद पर विश्वास होता है ।  
     
    Bonus Story - जो खो गया उसके बारे में क्या सोचना 
     
    आज मैं आपको एक ऐसी कहानी बताऊंगा जिसे सुनने के बाद आपको लगेगा कि कुछ लोगों की सोच कैसी होती है यानी कि उनको कितना भी अच्छा मिल जाए लेकिन वह अपने बुरे का साथ नहीं छोड़ते हैं यह जो बात मैंने लिखी है अर्थ तो आपको कहानी के अंत में समझ में आएगा लेकिन आपका ज्यादा वक्त ना लेते हुए मैं इस कहानी को शुरू करता हूं 
     
    दोस्तों एक बार की बात है एक बार एक राजा बहुत ज्यादा खुश था और अपनी खुशी को जाहिर करने के लिए उसने राज्य में भ्रमण किया अपने साथ कुछ सिपाहियों को लेकर गया क्योंकि सिपाहियों के पास कुछ सिक्के थे( सोने के सिक्के) राजा लोगों की सुनवाई कर रहा था और उनको समाधान बता रहा था लोग उनसे भी खुश हो रहे थे और वह बदले में उनको उपहार दे रहा था सोने के सिक्के के रूप में
    देखते-देखते काफी समय बीत चुका
     
    राजा लोगों की सुनवाई कर रहा था और लोगों को उपहार दे रहा था
    लेकिन उसकी नजर एक भिखारी पर पड़ी वह उदास बैठा हुआ था
    उसने उस भिखारी को बुलाया और सैनिको को आदेश दिया कि  तुम एक सोने का सिक्का इसे भी दे दो सैनिको ने उसे सोने का सिक्का दे दिया भिखारी जैसे ही थोड़ा आगे पहुंचा 
     
    तो बगल मे एक नाला था और भिखारी का सोने का सिक्का उस नाले में गिर गया भिखारी परेशान हो गया बड़ी मुश्किल से उसको एक सोने का सिक्का मिला था भिखारी उस सोने के सिक्के को ढूंढने के लिए मेहनत करने लगा काफी देर से वह  मेहनत कर रहा था यह सब दृश्य राजा देख रहा था उसने अपने सिपाहियों से कहां कि उसे वापस बुलाइये  सिपाही उसको बुला कर लाए 
     
    भिखारी ने राजा को अपनी दास्तां सुनाई
    राजा ने कहा कि ठीक है तुम अपना समय बर्बाद मत करो मैं तुम्हें एक और सोने का सिक्का देता हूं
    भिखारी सोने का सिक्का लेने के बाद वापस वही पहुंच गया और वापस नाले में
    सिक्का ढूंढने लगा
     
    एक बार राजा ने वापस प्रयास किया सोने के सिक्के को ना ढूंढो उसको एक और सिक्का दिया गया
    यानि की टोटल 3 सिक्के दिए भिखारी के पास दो सिक्के थे एक सिक्का उसने गंवा दिया लेकिन एक खोने के   बाद भी उसका ध्यान उस गुम हुए सिक्के पर था 
     
    Excellent Story

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