औषधियों की खोजबीन में राजवैद्य चरक मुनि जंगलों में घूम रहे थे। उन्हें जिस औषधि की तलाश थी, वह जंगल में कहीं भी नजर नहीं आ रही थी। तभी उनकी दृष्टि एक खेत में उगे सुन्दर पुष्प पर पड़ी। उन्होंने सहस्रों पुष्पों के गुण-दोषों की जांच की थी, परन्तु यह तो कोई नए प्रकार का ही पुष्प था। उनका मन पुष्प लेने को उत्सुक था, किन्तु पैर आगे नहीं बढ़ रहे थे। उनको सकुचाते देख पास खड़े एक शिष्य ने पूछा- ‘गुरुदेव, क्या मैं फूल ले आऊं?’ ‘वत्स! फूल तो मुझे चाहिए, लेकिन खेत का मालिक कहीं दिख नहीं रहा। उसकी इजाजत के बगैर फूल कैसे तोड़ा जाए?’ गुरु की इस बात पर शिष्य बोला- ‘गुरुदेव, कोई वस्तु किसी के काम की हो तो उसकी बिना अनुमति के ले लेना चोरी हो सकती है, परन्तु यह तो पुष्प है। आज खिला हुआ है एकाध दिन में मुरझा जाएगा। इसे तोड़ लेने में क्या हर्ज है? फिर गुरुवर, आपको तो राजाज्ञा प्राप्त है कि आप कहीं से कोई भी वन-संपत्ति इच्छानुसार बिना किसी की अनुमति के भी ले सकते हैं।’ गुरु चरक ने शिष्य की और देखते हुए कहा- ‘राजाज्ञा और नैतिकता में अंतर है वत्स। यदि हम अपने आश्रितों की संपत्ति को स्वच्छंदता से व्यवहार में लाएंगे तो फिर लोगों में आदर्श कैसे जागृत कर पाएंगे? इतना कह चरक चल पड़े खेत मालिक के घर की ओर। तीन कोस पैदल चलकर वह किसान के घर पहुंचे। उसे पुष्प के बारे में बताया तो उसने खुशी-खुशी इजाजत दे दी। इसके बाद चरक अपने शिष्यों के साथ दोबारा खेत पर आए और पुष्प तोड़कर अपने साथ ले गए। बाद में उसके गुण-दोषों की जांच कर उन्होंने जो औषधि बनाई, वह बीमार जनों के कष्ट दूर करने में कारगर साबित हुई।
*सदैव प्रसन्न रहिये।*
*जो प्राप्त है-प्रयाप्त हे।*
Bonus Story - Abraham Lincoln Ki Jivan Kahani
जिसके बाद 1816 मे लिंकन परिवार इंडियाना के एक नदी किनारे आकर बस गया. अब्राहम लिंकन जब 6 साल के हुए तब उन्हे स्कूल भेजा गया लेकिन घर की हालत नाज़ुक होने के कारण उन्हे अपने पिता के साथ खेतो मे भी काम करना पड़ता था. और उनके पिता भी कभी नही चाहते थे की वो पढ़ाई लिखाई करे इसी वजह से कुछ ही दीनो मे अब्राहम को ना चाहते हुए भी पढ़ाई छोड़नी पड़ी. हालाकी उन्हे पढ़ाई का बहोत शौक था जब भी उन्हे समय मिलता तो वो दूसरो से कितबे लेकर पढ़ने लगते.
उसी बीच उनके जीवन मे दुखद मोड़ तब आया जब 5 ऑक्टोबर 1818 को उनकी मा का देहांत हुआ. उस समय अब्राहम केवल 9 साल के थे. मा के मृत्यु के बाद घर की सारी ज़िम्मेदारी अब्राहम की बेहन सारा पर आ गयी. उस समय सारा भी केवल 11 साल की थी. कुछ साल बाद घर के हालत देखकर थॉमस ने एक विधवा महिला से शादी कर ली. उस महिला के 3 बच्चे पहलेसे ही थे. अब्राहम को उसकी सौतेली मा ने उसकी सग़ी मा से भी ज़्यादा प्यार दिया. और कभी भी मा की कमी महसूस नही होने दी.
कुछ समय बाद उनकी एक दुकान मे नौकरी लग गयी. यहा उन्हे पढ़ाई का भी टाइम मिलने लगा यही पर उन्होने किसी भी कॉलेज के मद्त के बगैर लॉ की पढ़ाई शुरू की. लॉ की पढ़ाई की दौरान उन्हे पता चला की नदी के उस तरफ एक रिटाइयीड जड्ज रहते है. जिसके पास लॉ की बहोत सारी क़िताबे है. लिंकन ने तय किया की वो जड्ज के पास जाएगे और उनसे लॉ की किताबे पढ़ने के लिए ले गये. उन दीनो बहुत ही कड़ाके की ठंड पड़ रही थी पर लिंकन ने बिना किसी परवाह के बर्फ़ीली नदी मे अपनी नाव उतार दी थोड़ी दूर जाने पर उनकी नाव बर्फ से टकरा गई और टूट गयी फिर भी वो पीछे नही हटे बर्फ़ीली नदी तैरते हुए पार की और जड्ज के पास पोहच गये और उनसे रिक्वेस्ट की, की उन्हे लॉ की कितबे पढ़ने के लिए दे. तभी जड्ज का नौकर छुट्टी पर था तो उनके घर का काम करने के लिए कोई तो चाहिए था. किताबो के बदले लिंकन घर का सारा काम करते.
कुछ समय के बाद वो गाओं मे एक पोस्ट मास्टर बन गये. इस वजह से बहोत सारे लोग उन्हे जानने लगे. अब लिंकन ने स्थानिक लोगो की परेशानियो को देखकर राजनीति मे घुसने का सोचा. क्यूकी उस समय दास प्रथा चल रही थी और लिंकन को यह बिल्कुल पसंद नही था. इसी लिए उन्होने विधायक का चुनाव लड़ा पर उन्हे सफलता नही मिली.
24 साल की उम्र मे उन्ह एक लड़की से प्यार हो गया पर कुछ ही दीनो के बाद गंभीर बीमारी की वजह से उस लड़की की मृत्यु हो गयी. इस बात का लिंकन पर गहरा असर हुआ. वो घंटो घंटो तक अपनी प्रेमिका के क़ब्र के पास बैठकर रोते रहते थे. अब्राहम लिंकन के जीवन मे सबकुछ उनके खिलाफ चल रहा था. लिंकन का एक समय ऐसा भी था की वो चाकू छुरी से दूर रहते थे क्यूकी उन्हे डर था की कही वे खुद को ही ना मार दे. उस समय उनके एक मित्रा ने उनका मनोबल बढ़ाया और उन्हे डिप्रेशन से बाहर निकाला. अपनी दोस्त के मद्त से लिंकन फिर से चुनाव लढ़े और इस बाद जीत भी गये. उसके बाद उन्होने 20 साल बिना किसीसे पैसे लिए वकालत की.
लिंकन ने 1842 मे शादी कर ली. 1860 मे लिंकन ने यूयेसे के राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लढ़े और 16 वे राष्ट्रपति बनकर अपने जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि हासिल की. उसके बाद उन्होने ऐसे महत्वपूर्ण काम किए जिसका लोगो को बहोत ज़्यादा फ़ायदा हुआ.
15 एप्रिल 1865 मे लिंकन की मौत हुई.
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