• आखिरी पड़ाव

    आखिरी पड़ाव: a heart touching short story

    • 2020-07-24 00:52:56
    • Puplic by : Admin
    • Written by : Unknown
    सुंदरबन इलाके में रहने वाले ग्रामीणों पर हर समय जंगली जानवरों का खतरा बना रहता था . खासतौर पर जो युवक घने जंगलों में लकड़ियाँ चुनने जाते थे उनपर कभी भी बाघ हमला कर सकते थे . यही वजह थी की वे सब पेड़ों पर तेजी से चढ़ने-उतरने का प्रशिक्षण लिया करते थे .प्रशिक्षण, गाँव के ही एक बुजुर्ग दिया करते थे ; जो अपने समय में इस कला के महारथी माने जाते थे . आदरपूर्वक सब उन्हें बाबा-बाबा कह कर पुकारा करते थे .
    बाबा कुछ महीनो से युवाओं के एक समूह को पेड़ों पर तेजी से चढ़ने-उतरने की बारीकियां सिखा रहे थे और आज उनके प्रशिक्षण का आखिरी दिन था .
    बाबा बोले , ” आज आपके प्रशिक्षण का आखिरी दिन है , मैं चाहता हूँ , आप सब एक -एक बार इस चिकने और लम्बे पेड़ पर तेजी से चढ़ – उतर  कर दिखाएँ .”
    सभी युवक अपना कौशल दिखाने के लिए तैयार हो गए .
    पहले युवक ने तेजी से पेड़ पर चढ़ना शुरू किया और देखते -देखते पेड़ की सबसे ऊँची शाखा पर पहुँच गया . फिर उसने उतरना शुरू किया , और जब वो लगभग आधा उतर आया तो बाबा बोले , “सावधान , ज़रा संभल कर। … आराम से उतरो …क़ोइ जल्दबाजी नहीं….”
    युवक सावधानी पूर्वक नीचे उतर आया .
    इसी तरह बाकी के युवक भी पेड़ पर चढ़े और उतरे , और हर बार बाबा ने आधा उतर आने के बाद ही उन्हें सावधान रहने को कहा .
    यह बात युवकों को कुछ अजीब लगी , और उन्ही में से एक ने पुछा , ” बाबा , हमें आपकी एक बात समझ में नहीं आई , पेड़ का सबसे कठिन हिस्सा तो एकदम  ऊपर वाला था , जहाँ पे चढ़ना और उतरना दोनों ही बहुत कठिन था , आपने तब हमें सावधान होने के लिए नहीं कहा , पर जब हम पेड़ का आधा हिस्सा उतर आये और बाकी हिस्सा उतरना बिलकुल आसान था तभी आपने  हमें सावधान होने के निर्देश क्यों दिए ? “
    बाबा गंभीर होते हुए बोले , ““ बेटे ! यह तो हम सब जानते हैं कि ऊपर का हिस्सा सबसे कठिन होता  है , इसलिए वहां पर  हम सब खुद  ही सतर्क हो जाते हैं और पूरी सावधानी बरतते हैं. लेकिन जब हम अपने लक्ष्य के समीप पहुँचने लगते हैं तो वह हमें बहुत ही सरल लगने लगता है…. हम जोश में होते हैं और अति आत्मविश्वास से भर जाते हैं और इसी समय सबसे अधिक गलती होने की सम्भावना होती है . यही कारण है कि मैंने तुम लोगों को आधा पेड़ उतर आने के बाद सावधान किया ताकि तुम अपनी मंजिल के निकट आकर कोई गलती न कर बैठो ! “
    युवक बाबा की बात समझ गए, आज उन्हें एक बहुत बड़ी सीख मिल चुकी थी .
    मित्रों, सफल होने के लिए लक्ष्य निर्धारित करना बहुत ही जरूरी है, और ये भी बहुत ज़रूरी है कि जब हम अपने लक्ष्य को हासिल करने के करीब पहुँच जाएँ, मंजिल को सामने पायें तो कोई जल्दबाजी न करें और पूरे धैर्य के साथ अपना कदम आगे बढ़ाएं. बहुत से लोग लक्ष्य के  निकट पहुंच कर अपना धैर्य खो देते हैं और गलतियां कर बैठते हैं जिस कारण वे अपने लक्ष्य से चूक जाते हैं. इसलिए लक्ष्य के आखिरी पड़ाव पर पहुँच कर भी किसी तरह की असावधानी मत बरतिए और लक्ष्य प्राप्त कर के ही दम लीजिये .

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