• जुड़वा भाई

    जुड़वा भाई: short motivational story in hindi

    • 2020-07-22 05:45:02
    • Puplic by : Admin
    • Written by : Unknown
    एक बार की बात है , दो जुड़वा पोलर बेयर थे . माँ की देख -रेख में दोनों के दिन अच्छे गुजर रहे थे कि एक दिन माँ ने ऐलान कर दिया ,“ कल से तुम्हे खुद अपना ख्याल रखना होगा , न मैं तुम लोगों को खाने के लिए कुछ दूंगी और ना ही अब और शिकार करना सिखाउंगी .”
     और अगले दिन माँ बिना बताये दोनों को छोड़ कर चली गयी .
     अब दोनों भाई अपने दम पर थे .
     कुछ देर बाद उन्हें भूख लगी , और वे सील का शिकार करने निकल पड़े .
    दोनों समुन्द्र के किनारे पर पहुँच गए .
    दोनों चुप -चाप बैठ गए की अभी कोई सील तैरते हुए उधर आएगी और वे उसे पकड़ कर खा लेंगे . पर काफी देर बीत जाने पर भी कोई सील वहां नहीं आई .
    तब पहला भाई पानी छूते हुए बोला ,” ओह्हो… कितना ठंडा पानी है …. लगता है हमें इसमें उतारना ही पड़ेगा … नहीं तो हम भूखे ही रह जायेंगे …”
    पर दूसरा भाई उसकी बात काटते हुए बोलो , “ पागल हो गए हो …इतने ठन्डे पानी में कूद कर अपनी जान दोगे क्या …अरे थोड़ा इंतज़ार करो कोई न कोई सील आ ही जाएगी …”
    पर पहला भाई नहीं माना , उसने हिम्मत जुटाई और पानी में कूद पड़ा ..
    कुछ देर बाद वो वापस आया , पर उसके हाथ में कोई सील नहीं थी …और ऊपर से वो एकदम गीला हो चुका था , ठण्ड से काँप रहा था .
    दूसरा भाई उसपर हंसा , “ मैंने पहले ही मना किया था …अब भुगतो …”
    लेकिन पहले भाई ने तो मानो सील पकड़ने की ठान रखी हो , वो फिर से पानी में कूदा  , इस बार उसने पिछली बार से भी अधिक प्रयास किया पर अफ़सोस , इस बार भी उसे सफलता नहीं मिली .
    “क्यों एक ही गलती बार -बार करते हो ?”, दुसरे भाई ने समझाया .
    लेकिन वो कहाँ सुनने वाला था , कुछ देर बाद उसने फिर से छलांग लगाई दी .
    और इस बार जब वो लौटा तो उसके हाथ में एक बड़ी सी सील थी !
    दूसरा भाई देखता रह गया , और अंत में उसे खाली पेट ही लौटना पड़ा . उसने मन ही मन भगवान को कोसा , “ मेरा भाई कितना लकी है , और मैं कितना अनलकी … सचमुच लाइफ कितनी अनफेयर है ….”
    और बाकी की ज़िन्दगी भी पहला भाई ऐसे ही जीतता गया और दूसरा भाई अपने भाग्य को कोसता रहा।
    Friends, दोनों भाई बिलकुल एक जैसे थे , बस अंतर था तो उनकी सोच में . एक भाई जहाँ risk लेकर खुद अपनी किस्मत लिखने को तैयार था , वहीँ दूसरा भाई सिर्फ भाग्य -भरोसे अपनी ज़िन्दगी बिताना चाहता था। और इस कहानी की तरह ही हमारी असल life में भी ज़िन्दगी उसी को सबकुछ देती है जो अपने डर को जीतना जानता है , जो जानता है कि हाँ कुछ करने में खतरा तो है , पर कुछ ना करना और भी खतरनाक है …जो जानता है कि अगर पहला एटेम्पट सक्सेसफुल न हो तो दूसरा ट्राई करना चाहिए , और दूसरा  ना हो तो तीसरा…जो जानता है कि ज़िन्दगी तो हमें सबकुछ देने को तैयार है.. , बस ज़रुरत है खुद पर भरोसा करने की और अपने डर को पीछे छोड़ अपने दिल की आवाज़ सुनने की . नहीं तो हम जीने को तो जी लेंगे पर अंदर ही अंदर घुटते रहेंगे कि ये जीना भी कोई जीना है !!!

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