• डायमंड और लड़के का चाचा

    Motivational story in hind on diamond aur ladke ka chacha

    • 2021-04-06 00:27:02
    • Puplic by : Admin
    • Written by : Unknown
    एक शहर में एक जौहरी रहता था, किसी कारण बस एक दिन उसका निधन हो गया और उसके बीवी बच्चे सड़क पर आ गए | हालत इतनी ख़राब हो गयी कि भूख मिटाने के लिए उन्हें इधर-उधर भटकना पड़ रहा था | जौहरी के बीवी के पास एक हीरा था जिसको उसने अपने लड़के को दिया और कहा कि इसे लेकर अपने चाचा के पास जाओ और उनसे कहना कि अच्छे दाम देखकर इसे बिकवा दे| लड़का वो हीरा लेकर अपने चाचा के पास गया और उन्हें सारी बात बिस्तार से बताते हुए वो हीरा बिकवाने के लिए कहा, उसके चाचा ने हीरा देखा और कहा कि बेटा ये हीरा लेकर तुम अभी घर जाओ और अपनी माँ से कहना कि हीरो का भाव अभी मन्दा चल रहा है, जब मार्केट में भाव बढ़ेगा तब मैं बिकवा दूँगा। साथ मे उसके चाचा ने उस लड़के को कुछ पैसे दिए और कहा कि कल से तुम दुकान पर आ जाया करना | लड़का घर चला गया और दूसरे दिन से वो अपने चाचा के दूकान पर जाकर बैठने लगा और धीरे-धीरे काम सीखने लगा | काम सीखते-सीखते वो एक दिन इतना बड़ा जौहरी बन गया की दूर-दूर से लोग हीरो की पहचान करवाने के लिए उसके पास आने लगे | एक  दिन उसके चाचा ने कहा की बेटा हीरो का दाम अभी मार्केट में अभी बढ़ गया है, तो कल जब तुम आओ तो घर से वो हीरा लेते आना | अब क्योंकि वो  खुद बहुत बड़ा जौहरी बन गया था तो पहले उसने खुद हीरे को चेक किया और उसे पता चला की वो हीरा नकली था |  
    वो अपने चाचा के पास गया और ये बात जब उन्हें बताई तो उन्होंने कहा की मुझे तो उसी दिन पता चल गया था लेकिन अगर मैं तुम्हे सच बताता तो तुम कहते कि दुःख के समय पर चाचा भी साथ न देकर मेरे हीरो को नकली बता रहे हैं | हमेशा हमें सीखते रहना चाहिए, अगर हमारे अंदर सीखने की चाह हो तो हम कुछ भी बन सकते हैं अब चाहे बात जौहरी की हो, डॉक्टर की या फिर इंजीनियर की | 
    दूसरी बात ये कि कभी-कभी क्या होता है कि हमें चीजों का अच्छी तरह ज्ञान नहीं होता, या हमें कोई बात पता नहीं होती और हम दुसरो पर इल्जाम लगा देते है जो किसी के साथ हमारे रिश्ते में दरार डालने का पहला कारण होता है | इसीलिए बात को पहले पूरी तरह समझे और फिर कोई फैसला ले जिससे आपके रिश्तों में दरार न आये | 

    Bonus Story - उत्तम व्यक्ति कौन ?

    बहुत पुरानी बात है। गौतम बुद्ध एक शहर में प्रवास कर रहे थे। उनके कुछ शिष्य भी उनके साथ थे । उनके शिष्य एक दिन शहर में घूमने निकले तो उस शहर के लोगों ने उन्हें बहुत बुरा भल्रा कहा - शिष्यों को बहुत बुरा ल्रगा और बे वापस लौट गये । गौतम बुद्ध ने जब देखा कि उनके सभी शिष्य बहुत क्रोध में दिख रहे हैं तो, उन्होंने पूछा - “क्या बात है आप सभी इतने तनाव में क्यूँ दिख रहे है।” तभी एक शिष्य क्रोध में बोला, “हमें यहाँ से तुरंत प्रस्थान करना चाहिये । जब हम बाहर शहर में घूमने गये तो यहाँ के लोगो ने बिना बजह हमें बहुत बुरा भला कहा ।” “जहाँ हमारा सम्मान न हो वहाँ हमें एक पल भी नहीं रहना चाहिये। यहाँ के लोग सिर्फ दुर्व्यवहार के सिवा कुछ जानते ही नहीं हैं।” गौतम बुद्ध ने मुस्कुराकर कहा - “क्‍या किसी और जगह पर तुम सदव्यवहार की अपेक्षा रखते हो ?”
    दूसरा शिष्य बोला - “इस शहर से तो भले लोग ही होंगे ।” तब गौतम बुद्ध बोले - “किसी जगह को सिर्फ इसलिये छोड़ देना गलत होगा कि वहाँ के लोग दुर्व्यवहार करते हैं। हम तो संत हैं। हमें तो कुछ ऐसा करना चाहिये कि जिस स्थान पर भी जायें। उस स्थान को तब तक न छोड़े जब तक अपनी अच्छाइयों से वहाँ के लोगों को सुधार न दें ।
    हम जिस भी स्थान पर जायें वहाँ के लोगों का कुछ न कुछ भला करके ही वापस लौटें। हमारे अच्छे व्यवहार के बाद वह कब तक बुरा व्यवहार करेंगे ? आखिर में उन्हें सुधरना ही होगा । वास्तविकता में संतों का कार्य तो ऐसे लोगों को सुधारना ही होता है। सही चुनौती वो है जब हम विपरीत परिस्थितियों में खुद को साबित कर सकें ।”
    ये सभी बातें सुनकर बुद्ध के प्रिय शिष्य आनंद ने प्रश्न किया - “उत्तम व्यक्ति किसे कहते हैं ?” इस पर बुद्ध ने जवाब दिया - “जिस प्रकार युद्ध में बढ़ता हुआ हाथी चारों तरफ के तीर सहते हुये भी आगे बढ़ता जाता है, ठीक उसी तरह उत्तम व्यक्ति भी दूसरों के अपशब्दों को सहते हुये अपना कार्य करता रहता है । खुद को वश में करने वाले प्राणी से उत्तम कोई और नहीं हो सकता ।” गौतम बुद्ध की बात शिष्यों को अच्छी तरह से समझ में आ गई और उन्होंने वहाँ से जाने का इरादा त्याग दिया।



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