• हार गया लेकिन खुद से जीत गया

    हार गया लेकिन खुद से जीत गया: Motivational Story

    • 2021-04-05 00:05:19
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    • Written by : Unknown
    हरीश नाम का एक लड़का था उसको दौड़ने का बहुत शौक था | वह कई मैराथन में हिस्सा ले चुका था | परंतु वह किसी भी race को पूरा नही करता था| एक दिन उसने ठान लिया कि चाहे कुछ भी हो जाये वह race पूरी जरूर करेगा| अब रेस शुरू हुई|  हरीश ने भी दौड़ना शुरू किया धीरे-धीरे सारे धावक आगे निकल रहे थे मगर अब हरीश थक गया था वह रुक गया फिर उसने खुद से बोला अगर मैं दौड़ नही सकता तो कम से कम चल तो सकता हु | उसने ऐसा ही किया वह धीरे धीरे चलने लगा मगर वह आगे जरूर बढ़ रहा था अब वह बहुत ज्यादा थक  गया था और नीचे गिर पड़ा |
    उसने खुद को बोला की वह कैसे भी करके आज दौड़ को पूरी जरूर करेगा वह जिद करके वापस उठा लड़खड़ाते हुए आगे बढ़ने लगा और अंततः वह रेस पूरी कर गया माना कि वह रेस हार चुका था
    लेकिन आज उसका विश्वास चरम पर था क्योंकि आज से पहले race को कभी पूरा ही नही कर पाया था| वह जमीन पर पड़ा हुआ था क्योंकि उसके पैरों की मांसपेशियों में बहुत खिंचाव हो चुका था
    लेकिन आज वह बहुत खुश था क्योंकि आज वह हार कर भी जीता था | हम भी तो इस तरह की गलती करते है हमारी life में कभी भी अगर कोई परेशानी होती है तो उस काम को नही करते और छोड़ देते है
    अगर आप एक student हो और रोज 10 hr की study करते हो और किसी दिन कोई परेशानी की वजह से आप पढ़ाई नही करते मगर आपको भले ही 5 hr मिले पढ़ना जरूर चाहिए
    हरीश की कहानी से हमे यही सीखने को मिलता है कि अगर हम लगातार आगे बढ़ते रहे तो एक दिन हम हारकर भी जीत जाएंगे |

    Bonus Story - Why we SHOUTएक हिन्दू सन्यासी अपने शिष्यों के साथ गंगा नदी के तट पर नहाने पहुंचा. वहां एक ही परिवार के कुछ लोग अचानक आपस में बात करते-करते एक दूसरे पर क्रोधित हो उठे और जोर-जोर से चिल्लाने लगे संयासी यह देख तुरंत पलटा और अपने शिष्यों से पुछा ” क्रोध में लोग एक दूसरे पर चिल्लाते क्यों हैं ?शिष्य कुछ देर सोचते रहे ,एक ने उत्तर दिया, ” क्योंकि हम क्रोध में शांति खो देते हैं इसलिए !”” पर जब दूसरा व्यक्ति हमारे सामने ही खड़ा है तो भला उस पर चिल्लाने की क्या ज़रुरत है , जो कहना है वो आप धीमी आवाज़ में भी तो कह सकते हैं “, सन्यासी ने पुनः प्रश्न किया .कुछ और शिष्यों ने भी उत्तर देने का प्रयास किया  पर बाकी लोग संतुष्ट नहीं हुए .अंततः सन्यासी ने समझाया …“जब दो लोग आपस में  नाराज होते हैं तो उनके दिल एक दूसरे से  बहुत दूर हो जाते हैं . और इस अवस्था में वे एक दूसरे को बिना चिल्लाये नहीं सुन सकते. वे जितना अधिक क्रोधित होंगे उनके बीच की दूरी उतनी ही अधिक हो जाएगी और उन्हें उतनी ही तेजी से चिल्लाना पड़ेगा.क्या होता है जब दो लोग प्रेम में होते हैं ? तब वे चिल्लाते नहीं बल्कि धीरे-धीरे बात करते हैं , क्योंकि उनके दिल करीब होते हैं , उनके बीच की दूरी नाम मात्र की रह जाती है.”सन्यासी ने बोलना जारी रखा ,” और जब वे एक दूसरे को हद से भी अधिक चाहने लगते हैं तो क्या होता है ? तब वे बोलते भी नहीं , वे सिर्फ एक दूसरे की तरफ देखते हैं और सामने वाले की बात समझ जाते हैं.” “प्रिय शिष्यों ; जब तुम किसी से बात करो तो ये ध्यान रखो की तुम्हारे ह्रदय आपस में दूर न होने पाएं , तुम ऐसे शब्द मत बोलो जिससे तुम्हारे बीच की दूरी बढे नहीं तो एक समय ऐसा आएगा कि ये दूरी इतनी अधिक बढ़ जाएगी कि तुम्हे लौटने का रास्ता भी नहीं मिलेगा. इसलिए चर्चा करो, बात करो लेकिन चिल्लाओ मत.

     when we are ANGRY

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