• Why we SHOUT, when we are ANGRY

    Why we SHOUT, when we are ANGRY motivational-story

    • 2021-04-04 23:57:30
    • Puplic by : Admin
    • Written by : Unknown
    एक हिन्दू सन्यासी अपने शिष्यों के साथ गंगा नदी के तट पर नहाने पहुंचा. वहां एक ही परिवार के कुछ लोग अचानक आपस में बात करते-करते एक दूसरे पर क्रोधित हो उठे और जोर-जोर से चिल्लाने लगे संयासी यह देख तुरंत पलटा और अपने शिष्यों से पुछा ” क्रोध में लोग एक दूसरे पर चिल्लाते क्यों हैं ?शिष्य कुछ देर सोचते रहे ,एक ने उत्तर दिया, ” क्योंकि हम क्रोध में शांति खो देते हैं इसलिए !”” पर जब दूसरा व्यक्ति हमारे सामने ही खड़ा है तो भला उस पर चिल्लाने की क्या ज़रुरत है , जो कहना है वो आप धीमी आवाज़ में भी तो कह सकते हैं “, सन्यासी ने पुनः प्रश्न किया .कुछ और शिष्यों ने भी उत्तर देने का प्रयास किया  पर बाकी लोग संतुष्ट नहीं हुए .अंततः सन्यासी ने समझाया …“जब दो लोग आपस में  नाराज होते हैं तो उनके दिल एक दूसरे से  बहुत दूर हो जाते हैं . और इस अवस्था में वे एक दूसरे को बिना चिल्लाये नहीं सुन सकते. वे जितना अधिक क्रोधित होंगे उनके बीच की दूरी उतनी ही अधिक हो जाएगी और उन्हें उतनी ही तेजी से चिल्लाना पड़ेगा.क्या होता है जब दो लोग प्रेम में होते हैं ? तब वे चिल्लाते नहीं बल्कि धीरे-धीरे बात करते हैं , क्योंकि उनके दिल करीब होते हैं , उनके बीच की दूरी नाम मात्र की रह जाती है.”सन्यासी ने बोलना जारी रखा ,” और जब वे एक दूसरे को हद से भी अधिक चाहने लगते हैं तो क्या होता है ? तब वे बोलते भी नहीं , वे सिर्फ एक दूसरे की तरफ देखते हैं और सामने वाले की बात समझ जाते हैं.” “प्रिय शिष्यों ; जब तुम किसी से बात करो तो ये ध्यान रखो की तुम्हारे ह्रदय आपस में दूर न होने पाएं , तुम ऐसे शब्द मत बोलो जिससे तुम्हारे बीच की दूरी बढे नहीं तो एक समय ऐसा आएगा कि ये दूरी इतनी अधिक बढ़ जाएगी कि तुम्हे लौटने का रास्ता भी नहीं मिलेगा. इसलिए चर्चा करो, बात करो लेकिन चिल्लाओ मत.

    Bonus Story- शूज के पैसे भी नहीं थे उसैन बोल्ट के पास


    यह कहानी उस व्यक्ति की है, जो फर्श से अर्श तक पहुँचा है। कहानी उस व्यक्ति की, जो बचपन में खेलता था क्रिकेट, लेकिन आज धूम मचा रहा है एथलेटिक्स में और बन गया है दुनिया का सबसे तेज दौड़ने वाला। आप उसे उसैन बोल्ट (Usain Bolt) के नाम से जानते हैं, लेकिन मेरे लिए वह मेरा प्रिय बेटा ही है। मेरे पति वेलेस्ले गाँव में छोटी-सी दुकान चलाते हैं, इसलिए बचपन में उसैन को स्पोट्र्स शूज नहीं दिला पाए थे। स्कूल प्रबन्धन ने उसे ये जूते दिलाए, जिससे उसकी ट्रेनिंग ने रफ्तार पकड़ी। उसैन का जन्म जमैका के छोटे से गाँव ट्रेलॉनी पेरिश (शेरवुड कन्टेंट) में हुआ, जहाँ स्ट्रीट लाइट्स नहीं थी और पीने का पानी भी नहीं के बराबर था। जहाँ बजुर्ग आज भी गधे पर बैठकर इधर-उधर जाते हैं और लोगों को पीने के पानी के लिए सार्वजनिक नल के सामने घण्टों लाइन लगानी पड़ती है। उसैन बचपन में हाइपर एक्टिव था। वो जब तीन सप्ताह का था, तो मैं उसे बिस्तर पर लिटाकर कमरे से बाहर चली गई। जब मैं कमरे में आई, तो देखा वो बिस्तर से गिर गया था, लेकिन उस पर चढ़ने की कोशिश में जुटा हुआ था। उसी समय मुझे लग गया था कि यह साधारण बच्चा नहीं है। उसका जन्म तय समय से डेढ़ सप्ताह बाद हुआ था। मुझे लगता है। उसकी रफ्तार सिर्फ उसी समय धीमी रही होगी। मेरे पिता ने सबसे पहले यह नोट किया कि इस बच्चे में कुछ खास बात है। उसके बाद से मैंने उसैन के खान-पान पर ध्यान देना शुरू किया। हमने उसैन का एडमिशन विलियम निब स्कूल में कराया था। वहाँ की प्रिन्सिपल लोन थोप ने कुछ दिन बाद हमें बताया कि हमारा बेटा खेलों में बहुत अच्छा है, इसलिए उसकी ट्रेनिंग का ध्यान भी स्कूल ही रखेगा। बीजिंग में जब उसैन चैम्पियन बना, तो थोपें की खुशी देखने लायक थी। बीजिंग ओलम्पिक में रिकॉर्ड बनने के बाद, उस सफलता के बाद गाँव पर खूब पैसा बरसा। 



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