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										हमारी सोच: Short Motivational story in hindi 
						- 2021-04-07 00:50:55
- Puplic by : Admin
- Written by : Unknown
 
  एक तालाब के अंदर बहुत सारे मेंढक रहा करते थे और तालाब के बीच मे एक टापू भी था, जिसके इर्द गिर्द मेंढक खेलने के लिए अकसर आया करते थे । एक दिन सभी मेंढको ने सोचा कि क्यों ना एक प्रतियोगिता का आयोजन किया जाए और प्रतियोगिता ये होगी कि इस टापू के शीर्ष पर जो मेंढक पहुंच जाएगा वही विजेता माना जाएगा । अब उनकी प्रतियोगिता शुरू हुई । सारे मेंढक प्रयास करने लगे, कोई गिर रहा था तो कोई ऊपर चढ़ रहा था, काफी समय तक ये खेल चलता रहा । अब कुछ मेंढको ने हार मान ली और पंचायत वाली मुद्रा में  बैठ गए ताकि बाकी के मेंढको को ज्ञान दिया जा सके, जो मेंढक चढ़ने की कोशिश कर रहे थे वो उनको बोलने लगे रहने दो नही हो पाएगा, बहुत मुश्किल है । कितने सारे मेंढको ने हार स्वीकार कर ली, इस तरह की नकारात्मक बाते मेंढक बोल रहे थे।  मगर इन सबके बीच एक मेंढक था,जो अपनी धुन में चढ़ रहा था और बार बार गिर रहा था, लेकिन वो कोशिश पूरी कर रहा था और पंचायती मेंढक उसको भी ज्ञान दे रहे थे।  देखते ही देखते वह टापू के शीर्ष पर पहुंच गया,सारे मेंढक अचंभित थे,
 जब वो नीचे आया तो सभी मेंढक उससे पूछने लगे कि तुमने ये सब कैसे किया, तो वो मेंढक तो कुछ नही बोला,लेकिन उसका मित्र बोला कि इससे क्या पूछते ये तो कुछ नही सुन सकता यानी कि मेंढक बहरा था।
 अगर वो बहरा नही होता तो उसके दिमाग मे हीन भावना का प्रवेश हो जाता और वह इस मुकाम पर नही पहुंच पाता ।रुकावट का कारण भी तो यही होता है दोस्तों, तरह तरह के लोग फब्तियां कसते है।
 तुमसे नही होगा, कोशिश करना बेकार है, ये जरूरी नही की उनसे नही हुआ तो कोई दूसरा भी नही कर सकता है। यकीनन कर सकता है, लेकिन सिर्फ जरूरत होती है तो बस उस मेंढक जैसे बहरे होने की
 ताकि ज्ञानी लोगो को नजरअंदाज किया जा सके |
   
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