• Law of Karma motivational-story

    Law of Karma motivational story in hindi

    • 2021-04-07 00:57:27
    • Puplic by : Admin
    • Written by : Unknown
    एक बार एक बहुत अमीर आदमी बहुत जल्दबाजी में थे। उनको कहीं व्याख्यान देने जाना था और उनको इसके लिए फ्लाइट पकड़नी थी। फटाफट वो अपनी आलीशान गाड़ी से उतरे,एयरपोर्ट के अंदर घुसे और वहां से उन्होंने अपनी फ्लाइट ले ली। जैसे ही वह फ्लाइट में बैठे। उन्होंने तुरंत अपना लैपटॉप निकाल लिया और अपनी आगे आने वाली योजना की रूपरेखा बनाने लगे। वो  बहुत जल्दबाजी में दिखाई दे रहे थे थोड़ी देर बीत जाने के बाद फ्लाइट मे काम कर रहे कर्मचारी ने आदेश दिया कि बारिश तेज आने के कारण हमें पास के किसी एयरपोर्ट पर लैंड करना पड़ेगा। अब यह भाई साहब बहुत ज्यादा गुस्सा होने लगे। उन कर्मचारियों के साथ उन्होंने सही व्यवहार नहीं किया। गुस्सा होने लगे आनन-फानन में जैसे ही एयरपोर्ट पर उतरे तो किसी ने इनको देख वो इनको जानता था कि नमस्कार सर मैं आपको जानता हूं। आप वहीं डॉ भटनागर हैं जिनको पास के एक शहर में स्पीच देने के लिए जाना है। मुझे भी वही जाना है। मैं आपकी सहायता कर सकता हूं। इस शहर से उस शहर की दूरी 3 घंटे की है। आप यहां से गाड़ी लेकर जा सकते हैं और समय पर पहुंच सकते हो, डॉक्टर साहब ने उस शख्स का धन्यवाद किया और जल्दी से गाड़ी पकड़ ली। गाड़ी वाले से यह कह दिया। कि मुझे सही सलामत सही वक्त पर पहुंचा देना लेकिन बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही थी। थोड़ी देर बीत जाने के बाद ड्राइवर असमंजस की स्थिति में था क्योंकि उस पर प्रेशर था यानी दबाव था, क्योंकि सही वक्त पर पहुंचना है लेकिन बारिश बहुत तेज आ रही थी और इस चक्कर में वो रास्ता भूल गया? लेकिन पीछे बैठे पैसेंजर को यह बताना था कि वह रास्ता भूल गया है। थोड़ा साहस करके सच्चाई बताई तो डॉक्टर साहब इनके ऊपर भी भड़क पड़े। जैसे तैसे ड्राइवर ने अपने आप को संभाला और पैसेंजर से पूछा कि अब आप बताइए मैं क्या कर सकता हूं। डॉक्टर साहब पहले तो बहुत चिल्लाने लगे और बहुत गुस्सा हुए। जो भी इनको भड़ास निकालनी थी। वह निकाल ली और कहा कि अब जहां कहीं भी रुकने की व्यवस्था हो, वहां चलिए पास में गांव आता है और गांव में एक छोटा सा घर होता है। घर को खटखटाते हैं। बूढ़ी सी माँ की आवाज आती है। मां बोलती है कि परेशान ना करें। आप अंदर आ सकते हैं  | बूढ़ी अम्मा ईश्वर की भक्ति में लीन थी। कुछ देर पर फ्री होने के बाद में बोलती है कि आपको चाय लेनी है या फिर मैं आपको पानी पिलाऊँ जो भी वह आवभगत कर सकती थी उन्होंने कर ली आपने हमसे पूछा इसके लिए ईश्वर का बहुत बहुत शुक्रिया तो इतने में बुढ़िया  बोली कि नहीं नहीं ईश्वर का धन्यवाद तो मैं तब करूंगी जब मेरा यह छोटा सा बच्चा ठीक होगा।  यह पिछले काफी समय से बीमार है। इसके मम्मी पापा जल्दी गुजर गए और इसके इलाज के लिए, बहुत पैसा लगना है। मैं जानती हूं कि शहर के एक बहुत बड़े डॉक्टर हैं। वही  डॉक्टर भटनागर उसका इलाज कर सकते हैं। आप देखिए की कितनी मार्मिक स्थिति है। डॉक्टर साहब को जाना था स्पीच देने लेकिन आ कहां गए एक झोपड़ी में उस बच्चे का इलाज करने क्यों? क्योंकि जब दिल से किसी चीज की आशा की जाती है तो कहीं ना कहीं वह मुराद पूरी होती है। भरोसा हो अगर ईश्वर पर सच्चे दिल से हर काम हो सकता है। इसलिए आस्था रखना बहुत जरूरी है। लेकिन आज के समय में कुछ लोग इस तथ्य को दरकिनार कर सकते हैं कि ऐसा संभव नहीं है। 


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