• पत्थर दिल पिघल गया

    पत्थर दिल पिघल गया: short moral story in hindi

    • 2021-04-07 01:01:21
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    • Written by : Unknown
    एक बार एक अमीर इंसान अपनी आलीशान कार में बैठकर के ऑफिस जा रहा था अभी रास्ते में उसने देखा कि काफी सारी गाड़ियों की भीड़ जमा है देखा कि कहीं वह अटक कर जाम में वह फस गया है तभी उसने देखा कि एक छोटा सा बच्चा दौड़ते हुए आ रहा है उसको देख ही रहा था कि अचानक से उसे कुछ समझ नहीं आया | एक बड़ी सी ईंट  का टुकड़ा उसकी कार से टकराया और उसकी कार के शीशे को तोड़ कर के निकल गया वह यह सब कुछ समझ पाता इससे पहले ही वह गुस्से से आगबबूला हो गया और उसने आव देखा न ताव उस बच्चे के पूछा कि यह कौन सा तरीका है तुम्हारा पत्थर फेंकने का तो उस बच्चे ने बड़ी ही विनम्रता के जवाब दिया कि मैं क्या करता मैं इतनी देर से चिल्ला रहा था मदद के लिए लेकिन कोई मेरी आवाज सुनने के लिए तैयारी नहीं था तो इसलिए मुझे  यह तरीका अपनाना पड़ा अगर आपको बुरा लगा तो मुझे क्षमा कर दीजिए लेकिन मेरा आपसे एक निवेदन है मैंने पत्थर इसलिए मारा था कि अभी कुछ देर पहले एक्सीडेंट में मेरे भाई को चोट लग गई और वह इतना भारी है कि मैं उसको सड़क से नहीं उठा पा रहा और  उसके शरीर से खून लगातार बह रहा है तो उस आदमी ने उसकी मदद की और उसको कार में बैठाकर के हॉस्पिटल लेकर गया हालांकि कार में काफी धब्बे लग चुके थे  लेकिन इसकी परवाह किए बगैर उसने उस बच्चे की हेल्प की और जब डॉक्टर ने आकर कहा कि अब इस बच्चे की हालत खतरे से बाहर है तो उसे खुशी हुई कि आज उसने अच्छा काम किया है  जब वह आफिस से घर की तरफ लौट रहा था तो सोच रहा था पता नही गाड़ी का कितना नुकसान हुआ है तो जब घर पहुंचा तो उसने देखा कि वह dent काफी ज्यादा था लेकिन उसके दिमाग में यह ख्याल आया कि अब मैं इसे ठीक नहीं करवाऊंगा यह हमेशा ऐसा ही रहेगा तो मुझे याद दिलाता रहेगा कि इतने भी कठोर मत बन जाओ कि ऊपर वाले को तुम्हें बताना पड़े कोई  मदद के लिए तुम्हें पुकार रहा है रियल लाइफ में कभी कभी हम इतना कठोर बन जाते हैं कि हम दूसरों की मदद नहीं करते फिर कंडीशन ऐसी आती है कि ऑटोमेटेकली हम दूसरों की मदद कर देते है तो लोगों की मदद करते रहिए | 

    Story Bonus - Law of Karma

    एक बार एक बहुत अमीर आदमी बहुत जल्दबाजी में थे। उनको कहीं व्याख्यान देने जाना था और उनको इसके लिए फ्लाइट पकड़नी थी। फटाफट वो अपनी आलीशान गाड़ी से उतरे,एयरपोर्ट के अंदर घुसे और वहां से उन्होंने अपनी फ्लाइट ले ली। जैसे ही वह फ्लाइट में बैठे। उन्होंने तुरंत अपना लैपटॉप निकाल लिया और अपनी आगे आने वाली योजना की रूपरेखा बनाने लगे। वो  बहुत जल्दबाजी में दिखाई दे रहे थे थोड़ी देर बीत जाने के बाद फ्लाइट मे काम कर रहे कर्मचारी ने आदेश दिया कि बारिश तेज आने के कारण हमें पास के किसी एयरपोर्ट पर लैंड करना पड़ेगा। अब यह भाई साहब बहुत ज्यादा गुस्सा होने लगे। उन कर्मचारियों के साथ उन्होंने सही व्यवहार नहीं किया। गुस्सा होने लगे आनन-फानन में जैसे ही एयरपोर्ट पर उतरे तो किसी ने इनको देख वो इनको जानता था कि नमस्कार सर मैं आपको जानता हूं। आप वहीं डॉ भटनागर हैं जिनको पास के एक शहर में स्पीच देने के लिए जाना है। मुझे भी वही जाना है। मैं आपकी सहायता कर सकता हूं। इस शहर से उस शहर की दूरी 3 घंटे की है। आप यहां से गाड़ी लेकर जा सकते हैं और समय पर पहुंच सकते हो, डॉक्टर साहब ने उस शख्स का धन्यवाद किया और जल्दी से गाड़ी पकड़ ली। गाड़ी वाले से यह कह दिया। कि मुझे सही सलामत सही वक्त पर पहुंचा देना लेकिन बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही थी। थोड़ी देर बीत जाने के बाद ड्राइवर असमंजस की स्थिति में था क्योंकि उस पर प्रेशर था यानी दबाव था, क्योंकि सही वक्त पर पहुंचना है लेकिन बारिश बहुत तेज आ रही थी और इस चक्कर में वो रास्ता भूल गया? लेकिन पीछे बैठे पैसेंजर को यह बताना था कि वह रास्ता भूल गया है। थोड़ा साहस करके सच्चाई बताई तो डॉक्टर साहब इनके ऊपर भी भड़क पड़े। जैसे तैसे ड्राइवर ने अपने आप को संभाला और पैसेंजर से पूछा कि अब आप बताइए मैं क्या कर सकता हूं। डॉक्टर साहब पहले तो बहुत चिल्लाने लगे और बहुत गुस्सा हुए। जो भी इनको भड़ास निकालनी थी। वह निकाल ली और कहा कि अब जहां कहीं भी रुकने की व्यवस्था हो, वहां चलिए पास में गांव आता है और गांव में एक छोटा सा घर होता है। घर को खटखटाते हैं। बूढ़ी सी माँ की आवाज आती है। मां बोलती है कि परेशान ना करें। आप अंदर आ सकते हैं  | बूढ़ी अम्मा ईश्वर की भक्ति में लीन थी। कुछ देर पर फ्री होने के बाद में बोलती है कि आपको चाय लेनी है या फिर मैं आपको पानी पिलाऊँ जो भी वह आवभगत कर सकती थी उन्होंने कर ली आपने हमसे पूछा इसके लिए ईश्वर का बहुत बहुत शुक्रिया तो इतने में बुढ़िया  बोली कि नहीं नहीं ईश्वर का धन्यवाद तो मैं तब करूंगी जब मेरा यह छोटा सा बच्चा ठीक होगा।  यह पिछले काफी समय से बीमार है। इसके मम्मी पापा जल्दी गुजर गए और इसके इलाज के लिए, बहुत पैसा लगना है। मैं जानती हूं कि शहर के एक बहुत बड़े डॉक्टर हैं। वही  डॉक्टर भटनागर उसका इलाज कर सकते हैं। आप देखिए की कितनी मार्मिक स्थिति है। डॉक्टर साहब को जाना था स्पीच देने लेकिन आ कहां गए एक झोपड़ी में उस बच्चे का इलाज करने क्यों? क्योंकि जब दिल से किसी चीज की आशा की जाती है तो कहीं ना कहीं वह मुराद पूरी होती है। भरोसा हो अगर ईश्वर पर सच्चे दिल से हर काम हो सकता है। इसलिए आस्था रखना बहुत जरूरी है। लेकिन आज के समय में कुछ लोग इस तथ्य को दरकिनार कर सकते हैं कि ऐसा संभव नहीं है। 






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