• क्या है HANDSOME होने का सही मतलब?

    क्या है HANDSOME होने का सही मतलब? : moral story

    • 2021-04-07 00:23:05
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    • Written by : Unknown
    दूरदराज के एक गाँव में एक किसान रहता था. उसने सुना था कि उसके देश के प्रेसिडेंट बड़े महान इंसान हैं. उसने मन ही मन उनकी एक तस्वीर बना रखी थी | एक लम्बा, खूबसूरत इंसान, राजसी ठाट-बाट वाला, जो चले तो लोग देखते रह जाएं, जो बोले तो लोग सुनते रह जाएं. उसके मन में प्रेसिडेंट को देखने की तीव्र इच्छा थी, पर बेचारा ऐसी जगह रहता था जहाँ अभी तक बिजली भी नहीं पहुँच पायी थी उसने कभी टीवी या अखबार में भी प्रेसिडेंट को नहीं देखा था. लेकिन यदि मन किसी चीज को पूरी ताकत से चाह ले तो वो चीज होना तय है. एक दिन पता चला कि उसके गाँव से करीब 100 मील दूर खुद प्रेसिडेंट आने वाले हैं. उसने फ़ौरन वहां जाने का निश्चय कर लिया… काफी दूर पैदल चलने और कई साधनों को बदलने के बाद आखिरकार वह तय दिन और समय पर प्रेसिडेंट को देखने के लिए पहुँच गया. भीड़ बहुत थी. हज़ारों लोग अपने प्रिय प्रेसिडेंट की एक झलक पाने के लिए खड़े थे. किसान ने बगल में खड़े एक व्यक्ति से पूछा- “क्या आपने कभी प्रेसिडेंट को देखा है?” “हाँ देखा है.” जवाब आया. “वो दिखने में कैसे हैं?” “कुछ ख़ास नहीं, बड़े साधारण से हैं.” वे बात कर ही रहे थे कि जनता का शोर उनके कानो में पड़ा….प्रेसिडेंट उनके बीच से होते हुए स्टेज पर जा रहे थे. किसान ने देखा कि एक सामन्य कद का साधारण सा इंसान रेड कारपेट पे चलता हुआ आगे बढ़ रहा है. प्रेसिडेंट उसकी मानसिक तस्वीर से बिलकुल अलग थे. किसान अपने विचारों में खोया हुआ था कि तभी प्रेसिडेंट उसके सामने रुके उससे हाथ मिलाया, हाल-चाल लिया और आगे बढ़ गए. उसे यकीन नहीं हुआ कि देश का राष्ट्रपति उससे दो शब्द बोल कर गया है…उसने फ़ौरन सोचा– कौन कहता है मेरा राष्ट्रपति साधारण है…मैंने तो आज तक इससे असाधारण व्यक्ति नहीं देखा!  वो शख्श कोई और नहीं भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम थे. इंसान अपने बाहरी रंग-रूप से महान या असाधारण नहीं होता, वो अपने अंदर की अच्छाई, काबिलियत , करुणा और प्रेम से असाधारण बनता है.

    Story Bonus - सुधा चन्द्रन : दृढ़ संकल्प-शक्ति की मिसाल

    दुर्घटना में एक पैर गैवाने के बाद, कोई महिला जीवन में ‘नृत्य करने के सम्बन्ध में सोचने की कल्पना भी नहीं कर सकती, लेकिन सुधा चन्द्रन ने अपने अदम्य आत्मविश्वास, दृढ़ संकल्प-शक्ति के बल पर, अकल्पनीय को भी हकीकत में बदल डाला। दुर्घटना में अपना एक पैर गैवाने के बाद सुधा चन्द्रन ने ‘जयपुर फुट’ लगाकर अपनी डांस प्रैक्टिस शुरू की और फिल्म ‘नाचे मयूरी’ में उनका शानदार डांस देखकर लोग अचम्भित रह गए, लोगों ने दाँतों तले अँगुली दबा ली। आज सुधा चन्द्रन की गणना, बहुत शानदार एवं सफल नर्तकी, टीवी एवं फिल्म एक्ट्रेस के तौर पर की जाती है। सुधा चन्द्रन का कहना है कि जब हेलेन कीलर अपंगता से बाहर आ सकती है, तो मैं क्यों नहीं? उनका मानना है कि सफलता व्यक्ति की सोच में होती है। हम जो चाहे, वह प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए चाहिए दृढ़ आत्मविश्वास।


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