• मूर्तिकार पिता और पुत्र की कहानी

    मूर्तिकार पिता और पुत्र की कहानी Motivational story in Hindi

    • 2021-04-06 04:21:41
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    • Written by : Unknown
    एक बहुत ही प्रसिद्ध मूर्तिकार था । बहुत ही सुंदर मूर्ति बनाता था, वो चाहता था कि उसका बेटा भी उससे बढ़िया मूर्तिकार बने और यही हुआ जैसा कि उसने सोचा वो भी मूर्तिकार बन चुका था। वक्त के साथ साथ वह अपने पिता जी से पूछता था कि उसने  मूर्ति केसी बनाई और उसके पिता हर बार इसकी मूर्तियों में कोई ना कोई खामी निकाल देते थे, लेकिन वह पिता की बात मानता गया और अच्छी अच्छी मुर्तिया बनाने लगा । एक समय ऐसा आ गया कि, अब पुत्र की मूर्तियां पिता की मूर्तियों से ज्यादा सुंदर और अच्छी है, लेकिन अब भी उसके पिता उसकी मूर्तियों में कमी निकाल ही देते थे,
    उसके सब्र का बांध टूट चुका था और उसको अपने आप पर अभिमान था कि वो पिता से बेहतर मुर्तिया बनाता है । वो झल्ला गया उन पर, अब उसके पिता ने मूर्ति पर टिप्पणी करना बंद कर दिया । जैसे जैसे वक्त गुजरता गया उसकी मुर्तिया अब पहले जैसी नही बन रही थी | और देखते ही देखते वह बहुत ही बेकार मुर्तिया बनाने लगा अब अंततः वह परेशान होकर पिताजी के पास गया पिता जी समझ गए थे कि ये वक्त जरूर आएगा और वो बोला कि मैं अब पहले से अच्छी मुर्तिया क्यों नही बना पा रहा हू? उन्होंने उत्तर दिया क्योंकि तुम अपने काम से सन्तुष्ठ होने लगे हो इसलिए , वो समझा नही । पिता ने कहा जब तुम्हे लगता है कि तुम बहुत अच्छी मूर्ति बनाते हो और इससे अच्छी ही बना सकते तो आगे बढ़ने की सम्भावना काफी कम है । हमेशा वही इंसान सफलता को आगे ले जा पाता है, जो यह  सोचता है कि कैसे मैं ओर भी ज्यादा अच्छा कर सकता हूँ। तो वो बोला कि आपको पता था कि ऐसा टाइम आएगा तो फिर आपने मुझे ये बात पहले क्यो नही बताई उन्होंने जवाब दिया की मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ था । मैं भी नही समझा जब तुम्हारे दादा जी ने मुझे समझाने का प्रयास किया । कुछ बातें प्रयोग से ही समझ आती है । यही जीवन की सच्चाई है और फिर वो अपने पिता द्वारा दी हुई सीख अपनाते हुए अच्छी से अच्छी मुर्तिया बनाने लगा ।


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    माइकल जॉर्डन बचपन से ही अपने papa के आज्ञाकारी बेटे थे। एक बार उनके पिता ने उनको एक t-shirt दी और कहा कि माइकल इस t-shirt को बेच कर दिखाओ । माइकल कभी नही बोले कि पिताजी मैं यह काम नही कर पाऊंगा। माइकल गए और उस टीशर्ट को 1 डॉलर मे बेच कर आये उनके पिता ने उनको शाबाशी दी और अगली बार फिर कहा माइकल जाओ और अबकी बार इसे 2 डॉलर मे बेचकर दिखाओ, माइकल गए और धूप में परेशान होते रहे लेकिन टीशर्ट नही बिकी। माइकल ने दिमाग लगाया और टीशर्ट पर Micky mouse का photo प्रिंट किया और एक अच्छे स्कूल के बाहर खड़े हो गए जहाँ अमीरो के बच्चे पढ़ते थे । तभी एक बच्चे को वह टीशर्ट पसंद आ गयी और और उसके माता पिता ने उस बच्चे को वह टीशर्ट दिला दी। इसके बदले माइकल को 20 डॉलर मिले। माइकल घर आये और पिता को 20 डॉलर थमा दिए। पिता ने उनको शाबाशी दी। एक बार फिर उनके पिता ने उनको यही काम दिया लेकिन इस बार टीशर्ट 200 डॉलर मे बेचनी थी
    माइकल ने मना नही किया और बेचने निकल गए तभी माइकल को पता चला कि Hollywood की एक  famous actress बगल के किसी शहर में आयी हुई है। माइकल बिना टिकट ट्रैन से सफर करके चले गए और लोगों की भीड़ को चीरते हुए निकल गए और सीधे एक्ट्रेस के पास पहुंचे। Security guard ने उनको रोकने की कोशिश की,लेकिन वह वहाँ पहुंच चुके थे, माइकल के मासूम चेहरे को देखकर एक्ट्रेस ने उनको ऑटोग्राफ दे दिया |  माइकल वापस आये और चौराहे पर आके टीशर्ट को बेचने लगे । कुछ ही देर में वहाँ लोगो की भीड़ जमा हो गयी। हर कोई वह टीशर्ट खरीदने के लिए आतुर था, किसी ने कहा 200 डॉलर किसी ने कहा 500 डॉलर और अंततः वह t-shirt माइकल ने 2000 डॉलर में बेच दी। जब वह उनके पिता के पास आये तो पिता ने ये सुनकर  उनको गले से लगा लिया और कहा बेटा तू दुनिया मे बहुत नाम कमाएगा तू, जो चाहे वो कर सकता है | और आज माइकल जॉर्डन बास्केटबॉल की दुनिया का शहंशाह है। दोस्तों माइकल की ये कहानी हमे यह सिखाती है कि हर वक्त बहानेबाज़ी करने से 
    सफलता नही मिलती बल्कि बहानो से आगे बढ़कर सोचने और अपनी बुद्धि का  सही इस्तेमाल करने से सफलता मिलती है ।


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